Wednesday, November 27, 2024
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कालसर्प दोष से मुक्ति को नाग पंचमी के दिन करें यह उपाय, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

नई दिल्लीः सावन का महीना हिंदू धर्म में भक्ति और प्रेम का महीना माना जाता है। इस माह भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसी माह शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है। नाग पंचमी का पर्व पूरी तरह से नाग देवता को समर्पित होता है। इस बार नाग पंचमी हस्त एवं चित्रा नक्षत्र के साथ रवि योग में मनाई जाएगी। हिंदू मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ नाग देवता की पूजा करता है उसकी कुंडली से कालसर्प या पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं।

नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त
इस बार नाग पंचमी पर रवि योग, हस्त एवं चित्रा नक्षत्र का संयोग है। 12 अगस्त को हस्त नक्षत्र प्रातः 10.10 बजे से शुरू होगा, जो कि 13 अगस्त को प्रातः 9.07 बजे तक रहेगा। वहीं, 12 अगस्त को श्रावण शुक्ल पंचमी अपरांह 3.25 से प्रारंभ होगी, जोकि 13 अगस्त को दोपहर 1.42 बजे तक रहेगी, जबकि 13 अगस्त को रवि योग प्रातः 6.58 से 14 अगस्त की प्रातः 6.57 बजे तक रहेगा। इसी तरह 13 अगस्त को प्रातः 9.07 बजे से चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा, जो 14 अगस्त को प्रातः 7.57 बजे तक रहेगा।

कालसर्प दोष मुक्ति के लिए मंत्र
श्रीनाग गायत्री मंत्र- ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात। इस मंत्र का उच्चारण करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

कालसर्प दोष से मुक्ति को करें यह उपाय
ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन पूरी श्रद्धा के साथ नाग की पूजा-आराधना करने से व्यक्ति के मार्ग में आ रही सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। साथ ही सफलता के सभी मार्ग प्रशस्त्र होते हैं। ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं तब काल सर्पदोष का योग बनता है। कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए।

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नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने और सांपों के दर्शन बेहद शुभ माना जाता है। इसके अलावा कालसर्प दोष से मुक्ति पाने को चांदी से बनी नाग के आकृति को अपनी अंगूठी में धारण करें।

सावन माह में भगवान शिव का रूद्राभिषेक कराने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

कालसर्प दोष शांति के लिए नाग पंचमी के दिन की पूजा करवाएं और पूजा के बाद चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को नदी में प्रवाहित करें।

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