नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान ने अफगान वायु सेना के एमआई-24 अटैक हेलीकॉप्टर को अपने कब्जे में ले लिया है। इस हेलीकॉप्टर को भारत ने दोस्ती की मिसाल के तौर पर अफगानिस्तान को सौंपा था। अमेरिकी सेना की 31 अगस्त तक पूरी तरह वापसी होने के बाद तालिबान विद्रोहियों के हमले बढ़ने की आशंका के चलते अशरफ गनी सरकार ने भारत से ‘मजबूत हवाई समर्थन’ मांगा है। पिछले कुछ दिनों में अफगान सरकारी बलों और तालिबान विद्रोहियों के बीच लड़ाई तेज हो गई है। मजार-ए-शरीफ में तालिबानी हमले बढ़ने के बाद भारतीय दूतावास के राजनयिकों और कर्मचारियों को बुधवार सुबह एक विशेष उड़ान से हिंडन एयरफोर्स स्टेशन लाया गया है।
भारत ने अफगानिस्तान को पहली बार साल 2015-16 में चार एमआई-24 अटैक हेलीकॉप्टर गिफ्ट किये थे। इसके बाद मई, 2019 में भारत ने फिर दो एमआई-24 हेलीकॉप्टर अफगान सरकार को सौंपे। रूस में बने इन एमआई-24 हेलीकॉप्टरों को पहले भारतीय वायु सेना इस्तेमाल करती थी। बाद में भारत ने नए अटैक हेलीकॉप्टर खरीदे और एमआई-24 को ओवरहॉल करके अफगानिस्तान को सौंप दिए। भारत ने तब अफगानिस्तान के पायलटों और मेंटीनेंस स्टाफ को ट्रेनिंग भी मुहैया करवाई थी। अफगानिस्तान में तालिबान ने अफगान वायु सेना के एमआई-24 अटैक हेलीकॉप्टर को अपने कब्जे में ले लिया है। तालिबान के कब्जे में आया यह हेलीकॉप्टर बेहद खराब स्थिति में है। अफगान वायु सेना ने हेलीकॉप्टर को छोड़ते समय इससे इंजन और बाकी उपकरणों को निकाल लिया था इसलिए यह हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकता है।
यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक अपने सैनिकों की वापसी पूरा कर लेगी। अफगान सरकार को आशंका है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद निश्चित रूप से हिंसा के अपने स्तर को बढ़ा देगा। इसीलिए अफगान सरकार ने भारत से हवाई समर्थन की आवश्यकता महसूस की है। अफगान सरकार चाहती है कि भारतीय वायु सेना देश में आकर अफगान वायु सेना का समर्थन करे। ताजा मामला मजार-ए-शरीफ का है जहां सोमवार से तालिबान ने लड़ाई तेज कर दी है। हाल ही में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच एक फोन कॉल के दौरान इस मामले पर चर्चा हुई है।
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हालांकि सूत्रों का कहना है कि नई दिल्ली ने अफगान सरकार को ‘हवाई समर्थन’ न दे पाने के बारे में स्पष्ट कर दिया है क्योंकि भारत ने कभी भी इस प्रकार के ‘आतंकवाद विरोधी तंत्र’ में विश्वास नहीं किया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि युद्धग्रस्त देश में कोई भी सैन्य भागीदारी भारत को एक मुसीबत में डाल सकती है इसलिए भारत अफगान सरकार को वायुसेना की मदद देने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि अफगानिस्तान को किसी भी सक्रिय सैन्य सहायता देने पर चर्चा नहीं की जा रही है। भारत और अफगानिस्तान के बीच उपकरण, प्रशिक्षण और स्पेयर पार्ट्स के रखरखाव जैसे ‘सौम्य समर्थन’ देने पर जरूर चर्चा हो रही है।
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