नई दिल्ली: संसद ने बुधवार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्ग से जुड़ी जातियों की पहचान कर उनकी सूची बनाने का अधिकार राज्यों को देने संबंधी 127वां संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने आज इस विधेयक पर चर्चा और उपबंधों पर मतदान (187-0 मतों से) के बाद पारित कर दिया। लोकसभा गत मंगलवार को ही इस विधेयक को पारित कर चुकी है।
संसद में पिछले तीन हफ्ते से जारी हंगामें और व्यवधान से ऊपर उठकर राज्यसभा ने इस विधेयक पर चर्चा की और इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया। पीठासीन सभापति के सस्मित पात्रा ने संविधान संशोधन विधेयक के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत मिलने के साथ इस विधेयक को पारित किए जाने की घोषणा की।
उल्लेखनीय है कि संसद में यह संविधान संशोधन विधेयक उच्चतम न्यायलय के गत पांच मई के इस फैसले के परिपेक्ष में लाया गया था, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि 102वें संविधान संशोधन विधेयक के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग जातियों की सूची बनाने का अधिकार केवल केन्द्र के पास है। न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल किए जाने को निरस्त करते हुए यह फैसला सुनाया था।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय विरेन्द्र कुमार ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक राज्यों को अपनी ओबीसी सूची बनाने का अधिकार बहाल करता है जिसे उच्चतम न्यायालय ने नकार दिया था। उन्होंने मोदी सरकार के ओबीसी समुदाय के कल्याण के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों की सराहना करते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त किया कि जिन्होंने इस महत्वपूर्ण विधेयक पर आम राय बनाना संभव बनाया।
विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान अनेक सदस्यों ने देश में आरक्षण की व्यवस्था पर 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा संबंधी बाध्यता समाप्त करने की मांग की। उन्होंने ओबीसी समुदाय की वास्तविक जनसंख्या पता लगाने के लिए जातिगत जनगणना कराए जाने की भी मांग की।
विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए पेश करते समय मंत्री ने कहा कि विधेयक ऐतिहासिक है और इससे देश की 671 जातियों को सीधा लाभ मिलेगा। इससे राज्यों को अपनी ओबीसी सूची तैयार करने की शक्ति दोबारा मिलेगी जिससे समाजिक और आर्थिक न्याय संभव हो पाएगा।
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अपने वक्तव्य में विधेयक के उद्देश्य और कारणों का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि इससे राज्य और केन्द्र को अपनी समाजिक एवं शैक्षिण तौर पर पिछड़े वर्गों की सूची तैयार कर सकेंगी। वहीं देश का संघीय ढांचा मजबूत बनाए रखने के लिए संविधान के अनुच्छेद 342ए में संशोधन की जरूरत है जिससे आगे संविधान के अनुच्छेद 338बी और 366 में संशोधन होगा।
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