नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूजक्लिक वेबसाइट के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की विदेशों से मिले धन के मामले में दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी पर 17 दिसंबर तक रोक लगा दी है। जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को 17 दिसंबर के पहले सभी जांच कर लेने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि रिजर्व बैंक से मिले जवाब के मुताबिक न्यूज क्लिक चलाने वाली कंपनी मेसर्स पीपीके न्यूज क्लिक स्टूडियो प्रा.लि. ने शेयर जारी करने में कोई देरी नहीं की। तब कोर्ट ने पूछा कि जब रिजर्व बैंक का उत्तर आरोपित के पक्ष में है तो आपको हिरासत में पूछताछ की क्या जरूरत है। तब जांच अधिकारी और ईओडब्ल्यू के वकील ने कहा कि अभी जांच चल रही है और दूसरे संस्थानों से जवाब का इंतजार है। कोर्ट ने कहा कि 17 दिसंबर तक जो भी जरूरी जांच करनी है, करें। कोर्ट ने 17 दिसंबर तक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी पर लगी रोक बढ़ा दी।
पुरकायस्थ पर आरोप है कि उनकी कंपनी पीपीके न्यूज क्लिक स्टूडियो प्रा.लि. ने वित्त वर्ष 2018-19 में अमेरिका की कंपनी वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स कंपनी से 9 करोड़ 59 लाख रुपये की एफडीआई हासिल की। एफआईआर में कहा गया है कि ये एफडीआई कानून का उल्लंघन कर हासिल की गई। सुनवाई के दौरान प्रबीर पुरकायस्थ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि कंपनी ने जब एफडीआई हासिल की, उस समय एफडीआई पर कोई सीमा नहीं लगाई गई थी।
सिब्बल ने कहा था कि प्रबीर पुरकायस्थ एक महशूर पत्रकार हैं और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म चलाते हैं। डिजिटल मीडिया को देश के बाहर से पैसा लाने की अनुमति थी। उसके बाद के साल में डिजिटल मीडिया के लिए एफडीआई में सीमा तय कर दी गई। उन्होंने कहा था कि आरोपित ने धन की कोई हेराफेरी नहीं की है। एफडीआई से मिले धन का इस्तेमाल कर्मचारियों को सैलरी देने में किया गया और ये कानून का कोई उल्लंघन नहीं है।
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सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू की ओर से पेश वकील मनजीत एस ओबेराय ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपित सीधे हाई कोर्ट आ गए हैं। एफआईआर में कहा गया है कि एफडीआई कंपनी के शेयरों का ज्यादा मूल्यांकन कर हासिल किया गया ताकि 26 फीसदी एफडीआई के कानून से बचा जा सके। एफआईआर में कहा गया है कि एफडीआई से मिली रकम का 45 फीसदी हिस्सा सैलरी देने, किराया और दूसरे खर्चों में दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि विगत 21 जून को हाई कोर्ट ईडी की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पुरकायस्थ की गिरफ्तारी पर पहले ही रोक लगा चुकी है।