लखनऊः उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में विदेशी कम्पनियों को ठगने वाले फर्जी अन्तरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करने में कामयाबी मिली है। गिरोह के चक्कर में फंसकर यूएसए सहित अन्य देशों में बड़े पैमाने पर रकम ठगी कर चूना लगाने का पता चला है। पूछताछ में कम्पनियों व विदेशी नागरिकों को डाटा हैक कर रिलीजिंग के नाम लगभग 10 करोड़ की मोटी रकम वूसल करने का पता चला है। पुलिस ने गिरोह के मास्टर माइंड इंजीनियर के साथ चार आरोपियों को पकड़ा गया है। इनके साथ ही कम्प्यूटर सहित अन्य जालसाली के दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस व क्राइम ब्रांच आरोपियों पर आगे की कार्रवाई कर रही है।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बुधवार को पुलिस लाइन में अमेरिका कम्पनियों व नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी अन्तरराष्ट्रीय कॉल सेंटर गिरोह का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि गिरोह का मास्टर माइंड नोएडा का रहने वाले मोहिन्द्र शर्मा है। मोहिन्द्र ने पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर दिल्ली की एक कम्पनी के साथ कानपुर के काकादेव इलाके में उसने पिछले साल लॉकडाउन में अन्तरराष्ट्रीय कॉल सेंटर की बड़े पैमाने पर शुरूआत की। उसने यहां पर कम्प्यूटर के साथ बड़ी-बड़ी कम्पनियों के डाटा एक्सपर्ट में माहिर लोगों को चुना। मोटी रकम के लिए यह लोग मोहिन्द्र के झांसे में आ गए और अपराध का शार्टकट तरीका अपनाने को तैयार हो गए। कॉल सेंटर से साइबर ठगी की पाठशाला शुरू की गई। मोहिन्द्र के साथ फिरोजाबाद निवासी संजीव कुमार गुप्ता, प्रतापगढ़ का जिकुरल्ला व बिहार निवासी सूरज सुमन को पकड़ा गया है।
इस प्रकार करते थे ठगी
अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर के द्वारा वह लोगों को बिल्कुल अनोखे अंदाज में फंसाते थे। किसी भी साइट पर आने वाले विज्ञापन जैसे 10 दिन में मोटापा घटाएं, पेट कम करें, घुटनों को मजबूत करें, लंबाई बढ़ाए, झड़ने वाले बालों को रोके आदि को जैसे ही अमेरिका में बैठा कोई व्यक्ति क्लिक करता था। वैसे ही मालवेयर जो कि एक प्रकार का वायरस होता था उसके सिस्टम में आ जाता था।
बार-बार आता था पापअप मैसेज
एक बार मालवेयर सिस्टम में जाने के बाद बार-बार पाप अप मैसेज स्क्रीन पर आता था। इसके साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर जो कि इस कालसेंटर का होता था वह भी ब्लिंक करता था। लोग टेक सपोर्ट के लिए जब इस पर फोन करते थे वह कुछ ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते थे। जैसे ही लोग कालर की बातों में आकर ऐप डाउनलोड करते थे वैसे ही उनका सारा डेटा यह हैक कर लेते थे।
सर्विस के नाम पर बेचते थे प्लान
मालवेयर हटाने और सर्विस देने के नाम पर काल सेंटर द्वारा प्लान बेचा जाता था। यह प्लान छह माह और सालभर का होता था। जब कभी सर्विस सही नहीं मिलती थी तो पैसा वापस करने के नाम पर लोगों को ठगने का खेल शुरू होता था। कालसेंटर पर आने वाली विदेशी काल को भी साफ्टवेयर से अलग अलग समय पर अलग अलग लोगों को ट्रांसफर कर दिया जाता था। डाटा हैक करने के बाद वह उनके एकाउंट आदि की डिटेल के एचटीएमएल में जाकर कोडिंग चेंज कर देते थे। इसके बाद सर्विस देने के नाम पर फीस लेते थे। खेल इसके बाद शुरू होता था। लोगों के एकाउंट में जमा रकम को कई गुना बढ़ाकर दिखाते और फिर पैसे वापस करने के नाम पर बड़ा अमाउंट उनके एकांउट में डाल देते, जो कि बस कोडिंग चेंज होने के कारण दिखता था। असलियत में एक रुपया भी नहीं जाता था।
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वापस मांगते थे ज्यादा पैसा
जैसे किसी को एक हजार डालर वापस करने होते थे वह उसको दस हजार का मैसेज भेजते थे। जब सर्विस लेने वाला व्यक्ति देखता तो उसे वाकई में दस हजार डालर शो करता था। इसके बाद वह मानवता के नाते काल सेंटर को नौ हजार डालर वापस कर देता था। इस प्रकार अब तक काल सेंटर द्वारा अमेरिका के 12 हजार लोगों को ठगा जा चुका है, जिससे नौ लाख डालर के ट्रांजसेक्शन की बैंक स्टेटमेंट से डिटेल मिल चुकी है।