Saturday, November 16, 2024
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Homeविशेषदूर तलक जाएगी बात…

दूर तलक जाएगी बात…

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद से महाराष्ट्र का राजभवन कुछ ज्यादा ही चर्चाओं में रहा है। राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन से पहले सरकार बनाने को लिए छिड़े संग्राम के बाद विधान परिषद के लिए राज्यपाल नियुक्त 12 विधायकों का मामला पिछले छह माह से प्रलंबित पड़ा हुआ है। राज्यपाल सचिवालय में विधान परिषद नियुक्त सदस्यों की सूची उपलब्ध नहीं है। राजभवन की ओर से सूचना के अधिकार के अंतर्गत किए गए आवेदन के आधार पर यह जानकारी सामने आई है। इस वजह से राजनीतिक क्षेत्र में एक बार फिर चर्चाएं शुरु हो गई हैं। राज्यपाल नियुक्त जगह पर महाविकास आघाडी की ओर से मंत्रिमंडल में सिफारिश किए गए नामों की सूची भेजी गई थी। पिछले छह माह से यह मुद्दा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास प्रलंबित होने के कारण महाविकास आघाडी के नेता किया और राजभवन के बारे में इस बारे में सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत जानकारी दी गई। राज भवन में इस बारे में अलग ही उत्तर दिया है। राज्यपाल सचिवालय में विधान परिषद के सदस्यों को सूची उपलब्ध नहीं है, ऐसी जानकारी राजभवन की ओर से सूचना के अधिकार के अंतर्गत किए गए आवेदन के बाद यह जानकारी सामने आई है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की ओर से किए गए सूचना के अधिकार के आवेदन पर राज्यपाल सचिवालय की एक से यह जानकारी मिली है। गलगली के आवेदन पर 19 मई, 2021 के राज्यपाल सचिवालय के अवर सचिव जयराज चौधरी ने जानकारी दी है कि राज्यपाल नियुक्त विधान परिषद के सदस्यों की सूचना जन सूचना अधिकारी ( प्रशासन) के कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।

राजभवन के पास ही सूची न होने के कारण राज्यपाल नियुक्त 12 सीटों पर एकनाथ खडसे (राकांपा), आनंद शिंदे, उर्मिला मातोंडकर, सचिन सावंत (सभी शिवसेना) के नाम की चर्चां थी, लेकिन अभी तक राज्यपाल मनोनीत विधायकों की सूची राजभवन में नहीं आई है। इस मुद्दे पर अब यह कहा जाने लगा कि क्या सचमुच 12 स्थानों के लिए नाम का राजभवन के पास आए भी थे या नहीं, इस बारे में राजनीतिक चर्चाएं जारी हैं।

अनिल गलगली ने संभ्रमित करने वाली इस जानकारी के बारे में अपील की गई है। इस बारे में यही जानकारी सामने आ रही है। एक तरफ यह कहा जा रहा कि राज्यपाल मनोनीत विधायकों की सूची राजभवन में भेजी गई थी, वहीं दूसरी ओर राजभवन के सूत्रों के अनुसार अभी तक राज्यपाल मनोनीत सदस्यों की सूची नहीं मिली है। मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों की ओर से यह जानकारी दी गई है कि राजभवन में भेजी गई है। राज्यपाल सचिवालय से यह कहा गया है कि अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि क्या सचमुच राज्यपाल नियुक्त विधायक सूची भेजी भी गई है या नहीं।

अगर सचमुच सूची भेजी गई है तो मुख्यमंत्री सचिवालय तथा राज्यपाल सचिवालय में से एक को तो इस बारे में सार्वजनिक करें, ऐसी आवाजें बुलंद हो रही हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि राज्यपाल मनोनीत विधान परिषद सदस्यों की सूची का राजभवन सचिवालय में न होना वास्तव में चिंता का विषय है। राजभवन में राज्यपाल मनोनीत विधान परिषद सदस्यों की सूची न होने की बात सामने आने के बाद एक बार फिर राजभवन चर्चा में आ गया है।

अब जबकि एक बार फिर राजभवन चर्चा में आया है तो यह चर्चा दूर तलक जरूर जाएगी। इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं अभी तक सामने नहीं आई हैं, लेकिन आने वाले समय में इस मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार की हर विफलता को सामने लाने वाली भाजपा इस मुद्दे पर राजनीतिक भूचाल लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)

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