नई दिल्लीः सनातन धर्म में वैशाख माह के तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व के रुप में मनाया जाता है। इस पर्व पर गंगा के साथ अन्य नदियों में स्नान-दान, व्रत, पूजा-पाठ करने की परंपरा रही है। आज किया गया पूजन-अनुष्ठान, दान-पुण्य का फल अक्षय हो जाता है। पर्व पर दान में जल पूरित कलश, छाता, हाथ वाला पंखा देने की परम्परा है। भगवान श्रीहरि को केसर युक्त श्वेत चंदन का लेप भी लगाने की परम्परा है।
आज बिना कोई मुहूर्त के भी मांगलिक कार्य संपन्न हो सकते हैं। आज के दिन किये गये कार्यो से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और उसकी तरक्की भी होती है। अक्षय तृतीया के दिन किसी भी कार्य को शुरू किया जा सकता है। आज के दिन से शुरू किये कार्यो में तरक्की और सफलता अवष्य ही मिलती है। क्योंकि अक्षय का अर्थ ही होता है जिसका कभी क्षय न हो। अक्षय तृतीया के दिन नये घर, वाहन या आभूषण खरीदा जा सकता है। आज के दिन मांगलिक समारोह भी होते है। आज का दिन मांगलिक कार्य के लिए बेहद उत्तम होता है।
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अक्षय तृतीया के दिन सोना या सोने के आभूषण खरीदना बेहद खास होता है। आज के दिन सोने के आभूषण खरीदने से भाग्योदय होता है और सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अक्षय तृतीया के दिन स्नानादि के बाद गरीब और जरुरतमंद लोगों को दान करने या उनकी मदद से शुभ फल की प्राप्ति होती है। दान करने से व्यक्ति के जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।