Friday, January 10, 2025
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चित्रकूट की अदृश्य धारा से भगवान हनुमान को मिली थी लंका दहन की तपन से मुक्ति

चित्रकूटः भगवान शिव के मानस अवतार और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त महावीर हनुमान जी की जयंती मंगलवार को प्रमुख तीर्थ हनुमानधारा समेत तपोभूमि चित्रकूट के हनुमान मंदिरों में बड़ी ही सादगी के साथ मनाई जा रही है। कोरोना संकट काल होने के कारण जहां लाखों की संख्या श्रद्धालु चित्रकूट आकर कष्टों से मुक्ति पाने के लिए महावीर हनुमान की पूजा और आराधना करते रहे है। वहीं इस वर्ष सीमित संख्या में ही लोग दर्शन को पहुंच रहे है। मंदिरों के साधू-संत ही पूजा कर भोग-प्रसाद वितरित कर रहे है।

आदि तीर्थ के रूप में समूचे विश्व में विख्यात धर्म नगरी चित्रकूट में भगवान श्रीराम ने वनवास काल का साढ़े 11 वर्षों का समय व्यतीत किया था। इस पावन धरा में आज भी तमाम दिव्य स्थान और अदृश्य नदियां और गुफाएं है, जो भक्तों को त्रेता युग की स्मृतियों को सजीव करते नजर आते है। इस पावन तपोभूमि को लेकर कहा जाता है कि कलयुग में हनुमान जी जागृत अवस्था में इस धरती पर विराजमान हैं और अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं। अपने आराध्य भगवान राम का कार्य करने के लिए पवनपुत्र हमेशा तत्पर रहते हैं। तभी हनुमान चालीसा में कहा भी गया है “राम काज करिबे को आतुर”. अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

हनुमान धारा-भक्त शिरोमणि महावीर हनुमान आज भी अपने आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदेश पर चित्रकूट की एक पहाड़ पर स्थित गुफा में विराजमान हैं। गुफा में अदृश्य स्रोत से निकलती जलधारा निरन्तर हनुमान के शरीर को शीतल करती रहती है। ऊंचे पहाड़ पर स्थित इस गुफा तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन परिश्रम करना पड़ता रहा है। लेकिन अब रोपवे बन जाने से राम भक्त हनुमान के दर्शन सुगमता से कर पाते है।

लंका दहन से जुड़ी है इस प्राचीन गुफा की कहानी

राक्षसों के राजा रावण की कैद से सीता को मुक्त कराने के लिए अपने आराध्य भगवान राम का संदेश लेकर लंका गये महाबली हनुमान ने पूरी सोने की लंका को जलाकर राख कर दिया था। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण व गोस्वामी तुलसीदास रचित श्री रामचरित मानस में लंका दहन का विस्तृत वर्णन मिलता है। लेकिन लंका दहन के बाद शरीर में अग्नि से उत्पन्न तपिश को शांत करने के लिए श्री राम ने हनुमान को चित्रकूट की इसी पवित्र पावन गुफा की अदृश्य जलधारा में अपनी तपन शांत करने का आदेश दिया था। जिस जगह हनुमान की तपिश शांत हुई थी आज वह दिव्य स्थान “हनुमान धारा” के नाम से विख्यात है। चित्रकूट की इस गुफा में विराजे हनुमान के बाएं अंग पर अदृश्य जगह से निकलते जलश्रोत का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया।

नहीं सूखती अदृश्य जलधारा

पहाड़ों में किस जगह व कैसे यह जलधारा निकलती है इसका पता नहीं हो सका। साथ ही आजतक भीषण गर्मी में भी ये जलधारा नहीं सूखती। आस्थावानों में इस स्थान को लेकर अपार श्रद्धा है। विभिन्न असाध्य रोगों के निवारण के लिए भी भक्त इस जल को अपने साथ ले जाते हैं। हनुमान धारा की पहाड़ी पर अनेकों गुफाएं व कन्दराएँ इस बात को प्रमाणित करती हैं की इन जगहों पर बड़े बड़े ऋषि-मुनियों ने आत्मजागरण की तपस्या की है।

संतों का कहना अमृत के समान है जल

कामदगिरि प्रमुख द्वार चित्रकूट के महंत मदन गोपाल दास महाराज बताते है कि हनुमान जयंती के दिन बड़ा ही सिद्धि योग बन रहा है। हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 27 अप्रैल को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान भक्त इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन मंदिरों में हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। हालांकि इस साल कोरोना वायरस से बचाव के लिए हनुमान भक्तों को घर पर ही रहकर ही हनुमान जन्मोत्सव मनाना चाहिए।

यह भी पढ़ेंः-भगवान हनुमान: शक्ति, तेज और साहस के प्रतीक

कोरोना महामारी के नाश के लिए प्रार्थना

इस साल हनुमान जन्मोत्सव के दिन सिद्धि योग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को शुभ योग माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य किए जा सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त हनुमान जी की भक्ति और दर्शन करता है। उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त विधि-विधान से पूजा करने के साथ ही उपवास भी रखते हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी रोगों का नाश करते है। जयंती के पावन अवसर पर प्रार्थना है कि महाबली हनुमान कोरोना महामारी से देश को मुक्ति दिलाये।

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