Tuesday, December 24, 2024
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Homeविशेषलंबे समय तक याद रहेगा नांदेड का तांडव

लंबे समय तक याद रहेगा नांदेड का तांडव

कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन की ओर से सादगी से रंग पर्व मनाने की अपील की थी, पर नांदेड के कुछ सिख समाज के युवकों ने सरकारी आदेश को धता बता कर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रतीकात्मक हल्ला मोहल्ला धार्मिक पद यात्रा पारंपरिक पद्धति से आयोजित करने की कोशिश की तो पुलिस ने उस पर रोक लगा दी। नांदेड में हर वर्ष होली के दिन हल्ला मोहल्ला नामक पर्व लंबे अर्से से मनाया जाता आ रहा है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के फैलाव के कारण सीख धर्मावलंबियों की ओर से मनाया जाने वाला हल्ला-मोहल्ला कार्यक्रम जिला प्रशासन की ओर से रदद कर दिया गया था।

जिला प्रशासन की ओर से रद्द किए गए प्रस्ताव को नांदेड गुरुद्वारा समिति की ओर से अनुमति दी गई थी लेकिन कुछ अति उत्साही युवकों ने प्रशासन के आदेश की अवहेलना करके पुलिस की ओर से लगायी गई बेरिकेटिंग तोड़कर होला- मोहल्ला कार्यक्रम आयोजित किया। पुलिस कार्यक्रम आयोजित नहीं करने दे रही है, इससे गुस्सायी भीड़ ने पुलिस पर तलवार से हमला कर दिया। ये लोग इतने पर ही नहीं रूके, बल्कि पुलिस के वाहनों पर पथराव करके उनके कांच तोड़ दिए। इस पूरे मामले में सांसद प्रताप पाटिल चिखलीकर का कहना है कि नांदेड में पुलिस को ठीक तरह से काम नहीं करने दिया जाता है, इसलिए इस तरह की घटना हुई। सरकारी आदेश का पालन करना पुलिस की जिम्मेदारी है, इसलिए उन पर उनके वाहनों पर पथराव करना पूरी तरह से गलत है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के दौरान न्यायालय की अनुमति से दशहरे पर गुरुद्वारा से शोभायात्रा निकाली गई थी, उस वक्त भी बहुत हो हल्ला मचा था। उस दौरान निकाली गई शोभायात्रा में ज्यादातर लोगों ने मॉस्क नहीं पहना था। होली के दिन नांदेड में हुई इस घटना के दौरान पुलिस अधीक्षक की ओर भेजे गए भाले को उनके अंगरक्षक दिनेश पाटिल ने अपनी पीठ ले लिया और पुलिस अधीक्षक की जान बचाई। हाथ में शस्त्र लेकर 400 लोगों का जत्था पुलिस पर हमला करने के लिए आमादा था। उसी दौरान प्रवेश द्वार क्रमांक एक पर पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार शेवाले पर भाला फेंका गया, लेकिन उनके अंगरक्षक ने सामने आकर उस भाले को अपनी पीठ पर झेला। भाला पीठ पर झेलने के कारण घायल हुए पुलिस अधीक्षक के अंगरक्षक दिनेश पांडे को तत्काल निजी अस्पताल में उपचारार्थ दाखिल किया गया।


घटना के कारण घायल पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार शेवाले, उनके अंगरक्षक दिनेश पांडे के साथ पांच अन्य पुलिस कर्मी गंभीर रुप से घायल हुए। नांदेड में उस दिन हालत यह हो गई कि घटनास्थल पर जमाव ज्यादा तथा पुलिस कर्मियों की संख्या बहुत कम हो गई थी। भीड़ ने पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के वाहनों पर पथराव करके पुलिस की गाड़ियों को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया। गुरुद्वारा समिति की मुख्य की ओर से अह्वान करने के बावजबूद कुछ उक्त उत्साही युवकों ने हल्ला मोहल्ला कार्यक्रम आयोजित किया।

इस मामले को बड़ी गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार शेवाले ने बताया कि कोरोना का प्रादुर्भाव बढ़ने के कारण कोरोना के बारे में गाइडलाइन्स तथा जिला प्रशासन की ओर से नांदेड में लॉकडाउन घोषित किया गया था। इस आधार पर हल्ला- मोहल्ला नामक कार्यक्रम न करने की सलाह पुलिस विभाग की ओर से दी गई थी। इस बारे में गुरुद्वारा मंडल के सदस्य तथा धार्मिक गुरुओं की बैठक भी आयोजित की गई थी, इसके बाद कार्यक्रम को पारंपरिक मार्ग से न करके उसे प्रतिकात्मक करने का निर्णय लिया गया था। कार्यक्रम कराने के लिए उत्साही व्यक्ति कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं थे। उन विद्यार्थियों ने धर्मगुरु की सूचना का अपमान किया।
इस दौरान कई पुलिस वालों पर कुछ असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया। घायल पुलिस कर्मियों को अस्पताल में उपचारार्थ दाखिल भी किया गया है। इस घटना के बारे में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि नांदेड में जो घटना हुई वह बहुत ही दुभाग्यपूर्ण थी। पुलिस प्रशासन उस पर पूछताछ करके उचित कार्रवाई जरूर करेगी।

नांदेड के पालक मंत्री तथा राज्य के सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री अशोक चव्हाण इस घटना के बाद रात से ही नांदेड में ताल ठोके हुए थे। इस संदर्भ में सभी परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद दोपहर को अशोक चव्हाण ने उक्त पत्रकार परिषद में जो कुछ भी हुआ उसकी जानकारी दी। चव्हाण ने बताया कि जब यह पहले से ही तय था किया जा चुका था था कि कार्यक्रम में शोभायात्रा नहीं निकाली नहीं जाएगी। कुछ लोगों ने बॅरिकेड्स को तोड़ दिया। भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने पुलिस कर्मियों पर हमला किया। इस घटना के कारण कुछ पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में दाखिल का किया गया है।

नांदेड़ मे सचखंड गुरुद्वारा की ओर से निकाली गई शोभायात्रा में पुलिस पर सशस्त्र भीड़ द्वारा किए गए हमले क मामले में 400 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया गयी है, उनमें से 18 लोगों को पुलिस ने कब्जे में लिया है।

मिनी अमृतसर के नाम से ख्यात नांदेड में सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. ये लोग बड़ी ही शांति तथा सद्भाव का परिचय देते हुए रहते आए हैं। होली के लिए हल्ला-मोहल्ला कार्यक्रम में सब्र का बांध आखिर क्यों टूटा, इसके पीछे कौन-कौन लोग थे, इसकी जानकारी प्राप्त होना जरूरी है। इस बारे में पुलिस अधीक्षक प्रमोद शेवाले ने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण इस वर्ष शोभायात्रा न निकाली जाए, इस बारे में जिलाधिकारी विपीन इटनकर तथा मैंने नांदेड की प्रशासकीय समिति तथा संतबाबा कुलवंत सिंह जी, संत बाबा बलबिंदर सिंह जी से चर्चा की थी। सभी ने इस बात का आश्वासन दिया था कि इस बार शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी, लेकिन सिख समुदाय के कुछ युवकों ने मनमामी की और शाम चार बजे अरदास के बाद गुरुद्वारे के अंदर शोभायात्रा निकाली गई। देखते ही देखते कुछ युवकों ने उक्त शोभायात्रा को गुरुद्वारे के बाहर ले जाने की कोशिश की। धर्मगुरु ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन अति उत्साही युवकों ने धर्मगुरु की भी बात नहीं मानी। कुछ युवकों ने प्रवेश द्वार क्रमांक एक के सामने के बैरिकेटिंग को तोड़ा और मुख्य रास्ते की ओर बढ़े और रास्ते पर तैनात मुख्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर धाबा बोल दिया।

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इस हमले में पुलिस उपाधीक्षक समेत सात अन्य पुलिस कर्मी घायल हो गए। इस दौरान युवकों द्वारा किए गए पथराव में पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक, पुलिस निरीक्षक के वाहनों को मिलाकर आठ वाहनों को भारी नुकसान पहुंचा। देश भर में नांडेड साहेब में हुई इस घटना की निंदा की जा रही है और कहा जा रहा है कि आखिर शांति-एकता से रहने वाले नांदेड के युवकों का संयम क्यों टूटा। होली के दिन होला-मोहल्ला की शोभायात्रा न निकालने के सरकारी आदेश की अवमानना कर जिस तरह से कुछ सिरफिरों ने नांदेड की पवित्र भूमि पर जो तांडव किया, उसे लंबे समय याद रखा जाएगा।

सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)

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