लखनऊः विद्युत चोरी की एफआईआर की राह को बिजली थानों ने आसान कर दिया है। अपना थाना होने के बाद बिजली विभाग के इंजीनियरों को चोरी की एफआईआर दर्ज कराने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ रही है। बिजली थानों पर विद्युत चोरी की एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई भी की जा रही है। यही नहीं, बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चलाने के दौरान भी बिजली थानों पर तैनात पुलिसबल मददगार साबित हो रहे रहे हैं। थानों के खुलने से सिविल पुलिस थाने में विद्युत चोरी की एफआईआर दर्ज कराने की झंझट और अभियान के दौरान सिविल पुलिस बल के न उपलब्ध हो पाने की मुश्किल से भी निजात मिल गयी है।
उपखंड अधिकारी इं. लेखराज के अनुसार, बिजली थाने खुलने से विद्युत चोरी पकड़े जाने पर संबंधित उपभोक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में आसानी हो गयी है। चेकिंग रिपोर्ट के साथ एफआईआर की तहरीर भेजकर थाने में रिपोर्ट दर्ज हो जाती है। जिसके बाद थाने से एफआईआर की कॉपी मंगाकर उसे थेफ्ट पोर्टल आरएमएस पर अपलोड करना होता है। इसके पूर्व चेकिंग रिपोर्ट, सबूत के लिए मौके पर की गयी कार्रवाई का वीडियो भी थेफ्ट पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। इसके बाद डिवीजन के अधिशासी अभियंता की ओर से आगे की कार्रवाई की जाती है।
प्रयागराज के नैनी में खुला पहला थाना
प्रदेश सरकार ने साल 2019 में प्रदेश के हर जिले में बिजली थाना खोलने की शुरुआत की थी। इसके तहत प्रयागराज के नैनी में पहला बिजली थाना 1 अगस्त 2019 को खोला गया था। राजधानी लखनऊ में एक सितंबर 2019 को लोकभवन के पीछे दारुलशफा में एंटी पावर थेफ्ट थाना स्थापित किया गया। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थापित थानों में अब तक 3 लाख से अधिक बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
प्रदेश के सभी जनपदों में खुला थाना
प्रदेश के सभी 75 जिलों में एंटी पॉवर थेफ्ट थाना खोला जा चुका हैं। इसमें बीते साल 2 अक्टूबर 2020 को सिद्धार्थनगर जनपद में आखिरी बिजली थाना खोला गया। वहीं प्रदेश में बिजली थाना स्थापित करने की शुरूआत एक अगस्त 2019 से हुई। जनपदों में थाने स्थापित किए जाने के साथ सभी थानों को स्टाफ भी उपलब्ध करा दिया गया है। ऐसे में विद्युत चोरी के खिलाफ अभियान के दौरान चेकिंग टीम के साथ पुलिस बल भी मौजूद रहता है। एक सिंतबर 2019 को राजधानी लखनऊ में स्थापित हुए बिजली थाने पर रोजाना बिजली चोरी की एफआईआर भी दर्ज हो रही है।
इनके जिम्मे बिजली थाने की कमान
प्रदेश के महानगरों और छोटे जनपदों में एंटी पावर थेफ्ट थाने के लिए पुलिस अफसरों के साथ पुलिसकर्मियों को भी तैनाती दी गयी है। लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बनारस और आगरा जैसे जनपदों में बिजली थाने पर एक प्रभारी निरीक्षक, चार उपनिरीक्षक, चार हेड कांस्टेबल, चार कांस्टेबल और दो ऑपरेटर तैनात किए गए हैं। वहीं छोटे जनपदों में इससे कम संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती की गयी है।
पश्चिमी यूपी में सबसे अधिक बिजली चोरी
विद्युत चोरी के मामले तो लगभग सभी जनपदों में हैं, लेकिन पश्चिमी यूपी के जनपदों में सबसे अधिक बिजली चोरी के मामले सामने आ रहे हैं। पश्चिमी यूपी के जिलों में धड़ल्ले से बिजली चोरी की जा रही है। इसकी वजह है कि इन जिलों के बिजली थानों में सबसे अधिक विद्युत चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई जा रही है। वहीं पश्चिम यूपी के मेरठ और गाजियाबाद जनपदों में सबसे अधिक एफआईआर पंजीकृत हुई है, जबकि महानगरों में भी एफआईआर का आंकड़ा लाखों में पहुंच चुका है।
ऐसे मामले आ रहे सामने
बिना कनेक्शन घर में कटिया डालकर बिजली चोरी, मीटर के पहले तार में कट लगाकर बिजली चोरी, बकाया पर कनेक्शन कटने के बाद फिर जोड़कर बिजली का उपयोग, मीटर में छेड़छाड़ कर बिजली की चोरी, चोरी की बिजली से सिंचाई की मोटर चलाना, घरेलू बिजली कनेक्शन का व्यवसायिक इस्तेमाल करना।
इन धाराओं में होगी कार्रवाई
बिजली चोरी करते पाए जाने पर अगर समन शुल्क जमा नहीं करते हैं, तो 3 माह से 7 साल तक की सजा का प्रावधान धारा 135, बिजली अधिनियम कटिया डालकर घरेलू बिजली का व्यवसायिक इस्तेमाल धारा 136, बिजली के सरकारी उपकरणों को नुकसान पहुंचाना धारा 137, विद्युत चोरी का सामान बरामद होने पर धारा 138, मीटर से छेड़छाड़ के मामले में काटे गए कनेक्शन को फिर जोड़ना धारा 139, बिजली की बर्बादी करने जैसे मामले धारा 140।
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जुर्माना न भरा तो लगेगी चार्जशीट
बिजली थानों के अधिकारियों के अनुसार, विद्युत चोरी करते हुए पकड़े जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विभाग के अधिकारियों द्वारा थाने पर रिपोर्ट दर्ज करायी जाती है। इसके बाद कंपाउंडिंग के लिए उपभोक्ता को नोटिस भेजकर पूरा मौका प्रदान किया जाता है। इसके बाद अगर उपभोक्ता शमन शुल्क जमा कर देता है तो वहीं पर फाइनलरिपोर्ट लगाकर मामला समाप्त हो जाता है, मगर इसके बाद भी कोई उपभोक्ता जुर्माना नहीं जमा करता है तो फिर चार्जशीट लगा दी जाती है।