इस्लामाबादः पाकिस्तान में लोकतंत्र पर एकबार फिर सवाल खड़े किए गए हैं। संसद के ऊपरी सदन सीनेट के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव विवादों में आ गए हैं। कम से कम चेयरमैन के लिए हुए मतदान में सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार को जिताने में पक्षपात के आरोप लगे हैं। चुनाव परिणाम पर सवाल खड़े करने का कारण निर्वाचन अधिकारी का आठ मतों को अवैध ठहराना है। विजयी और पराजित उम्मीदवारों के बीच महज छह वोटों के अंतर के कारण इन आठ मतों का बहुत अधिक महत्व है।
पाकिस्तान में सीनेट चेयरमैन के लिए अपने प्रत्याशी को जबरन हराए जाने के खिलाफ संयुक्त विपक्ष ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
सीनेट के चेयरमैन पद के लिए हुए चुनाव में सरकारी पक्ष के उम्मीदवार तहरीक-ए-इंसाफ के सादिक़ संजरानी को 48 और विपक्षी उम्मीदवार पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को 42 वोट मिले हैं। सीनेट में कुल 100 सदस्य होते हैं। मतदान में 98 सदस्यों ने हिस्सा लिया। डिप्टी चेयरमैन की सीट के लिए सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार मिर्जा आफरीदी ने विपक्षी उम्मीदवार अब्दुल गफूर हैदरी को हराया है।
चेयरमैन पद के लिए निर्वाचन अधिकारी मुजफ्फर हुसैन शाह ने चुनाव परिणाम की घोषणा की। घोषित परिणाम में उन्होंने स्पष्ट किया कि सीनेट के सात सदस्यों ने यूसुफ रज़ा गिलानी के नाम पर मुहर लगा दी। नियमों के मुताबिक उम्मीदवार के लिए तय खाने के अंदर ही मुहर लगानी थी। इसी तरह एक सीनेटर ने दोनों उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाई।
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इस महीने की शुरुआत में हुए सीनेट चुनाव में प्रतिष्ठित इस्लामाबाद सीट से संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार और वर्तमान वित्त मंत्री हफीज शेख को हरा दिया था। इससे विपक्ष उत्साह में था और सीनेट चैयरमैन के लिए भी उसने गिलानी को उतारा था। उनकी हार को विपक्ष पचा नहीं पा रहा है। उसका आरोप है कि सरकार के इशारे पर जानबूझकर उसके उम्मीदवारों के साथ बेईमानी की गयी है।