लखनऊः यदि आपका बच्चा स्कूल जाने से कतराता है। स्कूल जाने के समय पेट दर्द, सिर दर्द, मिचली की शिकायत करता है। स्कूल जाने के समय रोता है। परीक्षा से डरता है। मां-बाप से अलग नहीं होना चाहता है तो वह एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है। अभिभावकों के लिए चिन्ता का विषय बनी बच्चों की इन समस्याओं का प्रबंधन एवं उपचार होम्योपैथी द्वारा पूरी तरह सम्भव है।
केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि वैसे तो यह आम समस्या है, परंतु जब यह बच्चे की पढ़ाई एवं कार्यक्षमता पर प्रभाव डालने लगे तब इसका उपचार जरूरी है। बच्चों में यह समस्या स्कूल जाने के भय, घर के किसी प्रिय व्यक्ति से अलग होने, बाध्यकारी मनोग्रसित विकार, असामान्य भय और भीड़-भाड़ के डर के कारण होती है। इसके प्रबन्धन में व्यवहारिक उपचार पद्धति एवं होम्योपैथिक दवाईयों द्वारा बच्चों की इस समस्या का समाधान सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
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उन्होंने बताया कि 10-15 प्रतिशत बच्चे इस समस्या से ग्रस्त रहतें हैं। इसका समय पर उपचार करा लेना चाहिए क्योंकि इससे बाद में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं और इसका बच्चे की पढ़ाई एवं परफॉर्मेन्स पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि बच्चों की इन समस्याओं के समाधान में एकोनाइट, जेल्सीमियम, अर्जेंटम नाइट्रिकम, कैलकेरिया कार्ब, इग्नेशिया, लाइकोपोडियम, नैट्रम म्योर, आर्सेनिक अल्बम आदि दवाईओं का प्रयोग किया जा सकता है, परंतु होम्योपैथिक औषधियां केवल प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से ही लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि होम्योपैथिक दवाइयां पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावकारी हैं तथा बच्चे इनको बहुत आसानी से खा लेते हैं।