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देहरादूनः उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद कहर बरपाने वाली ऋषिगंगा नदी के पास झील बनने की बढ़ती आशंकाओं के बीच उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को एक टीम को यह पता लगाने के लिए भेजा है कि क्या वाकई ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में एक झील बन गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों की टीम झील बनने की असल जानकारी प्राप्त करने के लिए हिमालय के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कठिन इलाकों को ट्रैक (दुर्गम पगडंडियों पर पैदल चलना) करके पहुंचेगी।
राज्य पुलिस के प्रवक्ता डीआईजी निलेश आनंद भरने के मुताबिक अगर वाकई में कोई झील बनी है तो इसकी जांच के लिए यह टीम झील की असल जगह को देखने के लिए ट्रैक करेगी और इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र के कुछ उपग्रह (सैटेलाइट) तस्वीरों ने भी झील के निर्माण का संकेत दिया है। सरकार ने यहां के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों से भी ऋषिगंगा घाटी में झील निर्माण पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए एक अलग टीम का गठन करने के लिए कहा है। चमोली जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आई खबरों में कहा गया है कि ऋषिगंगा का प्रवाह गुरुवार दोपहर से अचानक बढ़ गया है। इसके बाद एहतियात के तौर पर संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान पर भी विपरित असर पड़ा है।
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अधिकारियों को एनटीपीसी के 520 मेगावॉट की तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग के अंदर भी तलाशी अभियान स्थगित करना पड़ रहा है। जब सैलाब आया था तो सुरंग के आसपास के क्षेत्र में काफी मलबा और पानी पहुंच गया था। इस सुरंग में कई लोगों के फंसे होने की संभावना है, जिन्हें निकाले जाने को लेकर कई दिनों से अभियान चल रहा है। ऋषिगंगा धौलीगंगा नदी की एक सहायक नदी है, जिस पर तपोवन परियोजना का काम चल रहा है। गुरुवार सुबह से ही ऋषिगंगा परियोजना के आसपास के ग्रामीण आपदा के बाद उनके इलाके में झील का निर्माण होने को लेकर काफी परेशान हैं और वह इस बारे में पता लगाने के लिए जिला प्रशासन को शिकायत कर रहे हैं। रैणी गांव के ग्राम प्रधान भगवान सिंह ने कहा कि रैणी गांव के लोग इस झील के बारे में सुनकर बहुत डर गए हैं। हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगा। कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने भी सरकार से झील निर्माण मुद्दे पर शीघ्र कदम उठाने को कहा है।