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यूवी किरणें करेंगी मेट्रो का सफर और भी सुहाना, लखनऊ से हुई शुरूआत

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लखनऊः राजधानीवासियों के लिए मेट्रो का सफर अब और भी सुरक्षित होगा। मेट्रो में सफर के दौरान यात्रियों में कोरोना संक्रमण का खतरा अब और भी कम होगा, साथ ही अन्य कीटाणु भी यात्रियों को प्रभावित नहीं कर सकेंगे।

यह सब संभव हो रहा है मेट्रो में यूवी किरणों के प्रयोग से। यूपीएमआरसी ने यात्रियों के लिए मेट्रो के सफर को और भी सुरक्षित बनाने के लिए नई तकनीकि का प्रयोग शुरू कर दिया है। देश भर में सबसे पहले लखनऊ मेट्रो में इस तकनीकि का प्रयोग किया जा रहा है। यूपीएमआरसी के अधिकारियों के अनुसार, यात्रियों की सुरक्षा के साथ उनके सफर को और बेहतर बनाना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। इसके चलते ही मेट्रो को यूवी रेडिएशन से सेनेटाइज किए जाने की व्यवस्था लागू कर दी गयी है। इससे मेट्रो में यात्रियों का सफर बेहद सुरक्षित और शानदार होगा।

कोने-कोने में पहुंचती हैं यूवी किरणें

मेट्रो में सफर के दौरान यात्रियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए यूपीएमआरसी अभी तक मेट्रो सोडियम हाइपोक्लोराइड का प्रयोग करता था। इसके प्रयोग में खर्च के साथ-साथ मैनपॉवर भी अधिक लगता था, मगर अब मेट्रो को अल्ट्रावायलट किरणों (पराबैगनी किरणों, यूवी) से सेनेटाइज किया जाएगा। यूवी किरणों से सेनेटाइजेशन के लिए मेट्रो ने उपकरण भी खरीद लिए हैं। डिपो में खड़ी सभी मेट्रो को इन उपकरणों से तेजी से सेनेटाइज किया जा रहा है। मेट्रो के भीतर का प्रत्येक कोना यूवी किरणों से सेनेटाइज होने से कोरोना समेत अन्य संक्रमण का खतरा पूरी तरह से खत्म हो गया है। ऐसे में मेट्रो में सफर करने वाले यात्री पूरी तरीके से सुरक्षित रहेंगे।

सबसे पहले लखनऊ मेट्रो में प्रयोग

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के अनुसार, मेट्रो को यूवी किरणों से सेनेटाइज किए जाने का सफल परीक्षण अब तक न्यूयार्क में किया गया। वहां पर इसी तकनीकि का प्रयोग किया जा रहा है। देश में कहीं अन्य जगह पर मेट्रो को अब तक इस तरह से सेनेटाइज नहीं किया जा रहा है। देश में इस तकनीकि का प्रयोग सबसे पहले लखनऊ मेट्रो में किया जा रहा है।

अति सूक्ष्म कीटाणु भी हो जाते हैं नष्ट

यूपीएमआरसी के डायरेक्टर ऑपरेशन सुशील कुमार के अनुसार, लखनऊ मेट्रो ने सेनेटाइजेशन उपकरण बनाने वाली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर यूवी लैंप विकसित किए हैं। ये लैंप पराबैगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रणाली पर काम करते हैं। इस उपकरण में 254 नैनो मीटर तक की शॉर्ट वेवलेंथ वाली अल्ट्रवॉयलेट सी किरणों के जरिए अति सूक्ष्म कीटाणुओं को सेकेंडों में नष्ट किया जाता है। ये किरणें इन सूक्ष्म जीवों के डीएनए व न्यूक्लिक एसिड को नष्ट कर देती हैं। अक्टूबर 2020 में डीआरडीओ ने भी इन उपकरणों के प्रयोग को मंजूरी दे दी है। इस उपकरण के प्रयोग में खर्च और समय भी कम लगता है। सेनेटाइजेशन के लिए यूवी लैंप अब तक प्रयोग किए जा रहे सोडियम हाइपोक्लोराइड की तुलना में सस्ता भी है। इसके प्रयोग से लागत में करीब 40 प्रतिशत की कमी हो जाती है।

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आधे घंटे में सेनेटाइजेशन

सेनेटाइजेशन के लिए खरीदे गए लैंपों से आधे घंटे यानि 30 मिनट में एक मेट्रो ट्रेन के सभी कोच सेनेटाइज हो जाते हैं। इसका संचालन रिमोट से किया जाता है। उपकरण को ऑनलाइन करते ही लैंप से रेडिएशन शुरू हो जाता है। गौरतलब है कि चिकित्सा क्षेत्र में ऑपरेशन थियेटर को सेनेटाइज करने के लिए भी यूवी किरणों का प्रयोग किया जाता है।

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