नई दिल्लीः भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने सोमवार को पेश केंद्रीय आम बजट पर मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बीएमएस ने बजट में हेल्थ सेक्टर के लिए 2.38 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान किए जाने की प्रशंसा की है। वहीं बीमा सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव की आलोचना की है।
बीएमएस ने कहा कि सरकार एक तरफ ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत देश में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित कर रही है वहीं बीमा सेक्टर में एफडीआई की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर रही है। आत्मनिर्भरता और विदेशी पूंजी निवेश एक दूसरे के विरोधाभासी हैं।
बीएमएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने कहा कि विदेशी पूंजी से कभी भी आत्मनिर्भरता नहीं आ सकती इसलिए सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि चेन्नई में 12 से 14 फरवरी तक बीएमएस की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में बजट पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और संगठन की आगामी कार्य योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि एफडीआई समेत अन्य मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आंदोलन को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने स्वास्थ्य बजट में 135 प्रतिशत का इजाफा किया है। इसे 94 हजार से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ किया गया है।
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया ने केंद्रीय बजट में मीडिया एवं मीडियाकर्मियों के लिए एक भी कोई घोषणा नहीं करने की निंदा करते हुए केंद्र के रवैये पर दुख जताया है। यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी ने कहा कि आज के बजट से ये साफ हो गया है कि देश के ज्यादातर नेता, मीडियाकर्मियों को समाज का हिस्सा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि देश में लगे लॉकडाउन से मीडिया उद्योग की हालात खस्ता हो गई है। इस उद्योग के हालात खराब होने से देशभर में विभिन्न समाचार पत्रों के प्रकाशन बंद हो गए और वहां कार्य कर रहे पत्रकारों की या तो छंटनी हो गयी या उनकी तनख्वाह में कटौती कर दी गयी। सैकड़ो स्माल और मीडियम न्यूज़ पेपर का प्रकाशन बंद हो गया।