Saturday, December 28, 2024
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भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य

 

नई दिल्ली। जब भगवान सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नानादि के बाद दान करने की परंपरा है। भगवान सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन से ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं।

मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाता है। इस दिन दान में खिचड़ी, तिल, गुड़, वस्त्र आदि दिया जाता है। जिससे पुण्य कर्मो की प्राप्ति होती है। हर साल की तरह इस वर्ष भी मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी (गुरूवार) को मनाया जाएगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक इस मकर संक्रांति पर भगवान आदित्य सुबह 8.30 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यह मकर संक्रान्ति का क्षण होगा। मकर संक्रान्ति का पुण्यकाल कुल 9 घण्टे 16 मिनट का है। वहीं, मकर संक्रान्ति का महापुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट का है, जो सुबह 8 बजकर 30 मिनट से दिन में 10 बजकर 15 मिनट तक है।

इस दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित किया जाता है। मकर संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक मकर संक्रांति से सूर्य देव का रथ उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाता है। ऐसा होने पर सूर्य देव का मुख पृथ्वी की ओर होता है और वे पृथ्वी के निकट आने लगते हैं। जैसे-जैसे भगवान सूर्य पृथ्वी के निकट आते है वैसे-वैसे शरद ऋतु खत्म होने लगती है और गीष्म ऋतु का आगमन होने लगता है।

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