सिसोदिया की गिरफ्तारी, विपक्ष की एकजुटता… PM को पत्र लिख जानें क्या कहा 9 नेताओं ने

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नई दिल्ली: मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की गिरफ्तार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के 9 नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि इसे दुनिया में एक राजनीतिक शिकार के रूप में उद्धृत किया जाएगा और भारत के लोकतंत्र को संदिग्ध निगाहों से देखा जाएगा।

बता दें कि इस पत्र में 7 गैर आप नेताओं समेत 9 के हस्ताक्षर हैं। इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी के शरद पवार, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दूल्ला, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर हैं।

पत्र में लिखा है, हमें उम्मीद है आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के खुले दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं। 26 फरवरी 2023 को, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को उनके खिलाफ सबूतों के बिना कथित अनियमितता के सिलसिले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। पत्र में लिखा गया है कि सिसोदिया के खिलाफ आरोप निराधार हैं यह एक राजनीतिक साजिश की तरह हैं। उनकी गिरफ्तारी से पूरे देश के लोगों में रोष है। दिल्ली की स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए मनीष को विश्व स्तर पर जाना जाता है। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी, दुनिया भर में एक राजनीतिक शिकार के रूप में उद्धृत किया जाएगा।

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पत्र में आगे लिखा है कि 2014 के बाद से आपके शासन के तहत जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई में अधिकतर विपक्ष के लोग शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि जांच एजेंसियां भाजपा में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ धीमी गति से चलती हैं। इसमें उल्लेख किया गया कि, कांग्रेस के पूर्व सदस्य और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सीबीआई और ईडी ने 2014 और 2015 में सारदा चिटफंड घोटाले की जांच की थी। लेकिन उनके भाजपा में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। इसी तरह नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में टीएमसी के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय ईडी और सीबीआई की जांच के दायरे में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद मामले आगे नहीं बढ़े। ऐसे और कई उदाहरण हैं , जिसमें महाराष्ट्र के श्री नारायण राणे भी शामिल हैं।

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