कानपुर: पिछली सरकारों में युवा नीति, महिला नीति व अन्य नीतियां तो बनीं, लेकिन वैश्विक स्तर की शिक्षा नीति नहीं बनीं। केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 लागू की। इस शिक्षा नीति के निर्माण से पता चलता है कि शिक्षा ने दुनिया के विकसित देशों को सकारात्मक दृष्टिकोण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शिक्षा को अपना अहम हथियार बनाएं और देश को विश्व गुरु बनाने में अपनी भूमिका निभाएं। ये बातें शुक्रवार को कानपुर पहुंचे उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा (Dr. Dinesh Sharma) ने कहीं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता आने वाले समय की जरूरत
मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण स्तंभों पर चर्चा की और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति कौशल विकास, आत्मनिर्भरता, छात्रों में रुचि और भारतीय परंपरा के पुनरुद्धार आदि पर प्रकाश डालती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कहा कि आने वाला समय प्रौद्योगिकी के साथ-साथ औद्योगिक क्रांति का भी है। इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शिक्षा को अपना अहम हथियार बनाएं और देश को विश्व गुरु बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।
कुलपति प्रो. विनय पाठक ने नई शिक्षा नीति की चुनौतियों और भारतीय परंपराओं में संस्कृत में आए बदलावों पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय की कई उपलब्धियां बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में कानपुर विश्वविद्यालय पहला विश्वविद्यालय है जिसने पूरी तरह से डिजिटलाइजेशन को स्वीकार कर लिया है। यहां स्मार्ट क्लासरूम और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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इस दौरान रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार यादव, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. संदीप कुमार सिंह, डॉ. मानस उपाध्याय, डॉ. प्रशांत, डॉ. किरण झा, डॉ. अभिषेक कुमार मिश्रा, डॉ. एसपी वर्मा, डॉ. शिल्पी कुकरेजा एवं डॉ. पूजा सिंह उपस्थित रहीं।
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