Thursday, November 21, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeदेश'टू फ्रंट वार' की तैयारी के लिए मिले 3 और माह, खरीदे...

‘टू फ्रंट वार’ की तैयारी के लिए मिले 3 और माह, खरीदे जायेंगे देशी और विदेशी हथियार

नई दिल्ली:​ अब सशस्त्र बलों को ​’टू फ्रंट वार’ की बेहतर तैयारी के लिए ​अतिरिक्त 3 महीने का ​और समय दिया गया है। ​​​​​आपातकालीन ​​शक्तियों का ​​उपयोग कर​के ​देशी और विदेशी दोनों स्रोतों से अधिक हथियार प्रणाली खरीदने के लिए ​यह समय बढ़ाया गया है​।​ ​पाकिस्तान और चीन से एक साथ ​​युद्ध की तैयारी के मद्देनजर ​​हथियारों और गोला-बारूद का ​​स्टॉक बढ़ाने ​के लिए पहले दो माह ​​का समय निर्धारित किया गया था​। ​​ ​

​तीनों भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और चीन से एक साथ ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारी के मद्देनजर अब 10 दिनों के बजाय 15 दिनों के पूर्ण युद्ध के लिए गोला-बारूद और हथियारों का स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सशस्त्र बलों को 50 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। भारत ने हथियारों और गोला-बारूद का स्टॉक बढ़ाने के लिए रक्षा बलों को अधिकृत करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।​​ इसी के मद्देनर ​भारत ने इजरायल ​से ​करीब 300 स्पाइस​-2000 गाइडेड बम ​और स्पाइक-लॉन्ग रेंज एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम)​ ​के लिए ​200 मिलियन​ डॉलर का अनुबंध ​किया है​​।​ इसके अलावा ​सामरिक कार्यों के दौरान सुरक्षित संचार के लिए बीएनईटी ब्रॉडबैंड आईपी सॉफ्टवेयर ​के लिए भी ऑर्डर किया गया है​​। ​इनकी आपूर्ति 2021 की शुरुआत में ​​की जानी है​।​​

रक्षा बलों को विस्तारित स्टॉकिंग और आवश्यकताओं को पूरा करने में आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग किया जायेगा।​ पहले से चल रहे 10 दिवसीय स्टॉकिंग से हथियार और गोला-बारूद का भंडार न्यूनतम 15 दिन के लिये बढ़ाने का मकसद चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ युद्ध लड़ने के लिए रक्षा बलों को तैयार करना है। इसलिए दोनों दुश्मनों से एक साथ कम से कम 15 दिवसीय गहन युद्ध लड़ने के लिए कई हथियार प्रणालियों और गोला-बारूद का अधिग्रहण किया जा रहा है। कई साल पहले सशस्त्र बलों को 40 दिवसीय गहन युद्ध के लिए स्टॉक करने के आदेश दिए गये थे लेकिन हथियारों और गोला-बारूद के साथ-साथ युद्ध के बदलते स्वरूप के कारण इसे 10 दिनों के स्तर तक लाया गया था। अब रक्षा बलों के लिए इसे बढ़ाकर 15 दिनों के लिये मंजूरी दे दी गई है। ​​

भारत अपनी मिसाइल ​क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया में है क्योंकि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध लगातार आठवें महीने जारी है​​।​ सर्दियां खत्म होने के बाद चीन के साथ गर्मियों में उभरने वाली चुनौतियों ​से निपटने की व्यापक योजना है​​। ​भारतीय ​​वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ​​​​गाइडे​ड​ ​स्पाइस​-​2000 ​बमों ​की ​ताजा खरीद आपातकालीन ​​शक्तियों का उपयोग कर​के की जा रही है।​ इसे वायुसेना पहले ही मिराज​-2000 और सुखोई-30 लड़ाकू विमानों में एकीकृत ​करके बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय इस्तेमाल कर चुकी है​​।​ यह लंबी दूरी से लक्ष्य को सटीकता के साथ मार सकता है​, इसलिए पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर चल रहे संघर्ष के ​लिहाज से महत्वपूर्ण है​​।​ ​

​वायुसेना ​अधिकारी के मुताबिक फिलहाल 300 ​गाइडे​ड​ ​स्पाइस​-​2000 ​बमों ​की​ खरीद ​​अपर्याप्त है ​क्योंकि इसमें ​250 ​बम ​सुखोई-30 ​के लिए ​और 50 ​बम ​मिराज​-​2000 के लिए​ होंगे।​ ​500 किलोग्राम ​वजन वाले इन बमों का इस्तेमाल जगुआर और स्वदेशी तेजस ​से ​भी ​किया जा सकता है। ​मोदी सरकार ने भारतीय वायु सेना के लिए लगभग 700 मिलियन डॉलर के हथियार का ऑर्डर ​रूस को ​दिया ​है जिसमें ​30 किमी. तक मारक क्षमता वाली ​करीब 300 शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल ​​आर​-​73 और 400 मध्यम-रेंज की एयर-टू​-एयर निर्देशित मिसाइलें ​ ​​​आर​-​7​7​ ​हैं।​​ इन मिसाइलों को रूस निर्मित मिग और सुखोई​-30 विमा​नों के लिए डिज़ाइन किया गया है।​ ​

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें