किडनी बेचने का व्यापार करने के आरोप में महिला सहित 3 गिरफ्तार, जांच में जुटी पुलिस

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असमः मोरीगांव जिला के धरमतुल इलाके में रहकर किडनी बेचने का गोरखधंधा चलाने वाली मुख्य आरोपित समेत दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूछताछ में प्रतिदिन नये-नये खुलासे सामने आ रहे हैं। किडनी के गोरखधंधे में सबसे पहले मुख्य आरोपित लिलिमाई बोरो को पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार किया था। महिला गुवाहाटी के लोखरा इलाके की रहने वाली बतायी गयी है। लिलिमाई बोरो के बयान के आधार पर रमन मेधी सहित अन्य एक आरोपित को बीती रात गिरफ्तार किया गया। इस मामले में अब तक कुल तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। महिला को गांव वालों ने पकड़ कर पुलिस को सौंपा था।

किडनी बेचने का कारोबार असम के कई जिलों में काफी लंबे समय से चल रहा है। गरीब मजबूर लोगों को पैसे का प्रलोभन देकर दलाल किडनी की खरीद बिक्री किया करते हैं। किडनी देने वाले लोगों को काफी कम पैसा मिलता है। इस गिरोह के मुख्य शिकार राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोग हैं, जो आर्थिक रूप से पूरी तरह पंगु हैं। इस संबंध में गिरफ्तार मुख्य आरोपित महिला लिलिमाई बोरो और रमन मेधी ने पुलिस को बताया कि पल्लव बरठाकुर नामक व्यक्ति भी इस गोरखधंधे में शामिल है जो नगांव जिला के हाटिंगा इलाके का रहने वाला है।

गैर सरकारी संगठन के नाम पर पल्लव बरठाकुर किडनी का व्यापार करता है। पल्लव बरठाकुर किडनी का गोरखधंधा असम में काफी लंबे समय से चला रहा है। उसने धुबरी, कोलकाता, धरमतुल और नगांव में एक-एक एजेंट को नियुक्त किया है। धरमतुल में रमेन मेधी, नगांव शहर में के रतनपुर में बरदलै उपाधिधारी एक एजेंट का नाम सामने आए है। पुलिस का कहना है कि किडनी के गोरखधंधे का तार असम और पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है।

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किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर सरकार द्वारा काफी कठोर नियम बनाए गए हैं। इसके बावजूद असम में किडनी का व्यापार चल रहा है। सरकारी अधिकारियों और डॉक्टरों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा किडनी के एजेंट चला रहे हैं। जांच में सरकारी अधिकारी और डॉक्टर भी फंस सकते हैं।