Friday, November 22, 2024
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2020 दिल्ली दंगा : उमर खालिद की जमानत याचिका टली, 4 हफ्ते बाद सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिन्हें 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि अदालत को खालिद के खिलाफ आरोप पत्र दायर होने के बाद रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों को देखना होगा।

खालिद ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने पिछले साल 18 अक्टूबर को नियमित जमानत की मांग करने वाली खालिद की अपील खारिज कर दी थी। उन्होंने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने उन्हें यूएपीए मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था। नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अमरावती में दिए गए उनके कथित आक्रामक भाषण दंगा मामले में उनके खिलाफ आरोपों का आधार हैं।

पिछले साल HC ने खारिज की थी जमानत याचिका

इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन व उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा दिसंबर 2019 व फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा था। जिसमें उमर खालिद ने भी हिस्सा लिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि साजिश की शुरुआत से लेकर दंगों तक उमर खालिद का नाम सामने आता रहा।

आगे कहा कि उमर खालिद व्हाट्सएप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आरोप पत्र पर विश्वास किया जाए तो यह साफ तौर पर साजिश की ओर इशारा करता है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र में सामान्य राजनीतिक प्रदर्शन जैसा नहीं है, बल्कि यह खतरनाक है, जिसके गंभीर परिणाम होंगे। महिला प्रदर्शनकारियों पर पुलिसकर्मियों द्वारा हमला किया गया, जिससे क्षेत्र में दंगे भड़क उठे, जो निश्चित रूप से एक आतंकवादी कृत्य था।

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