नई दिल्लीः संसद के बजट सत्र को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरने की योजना बनाई है। कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि 29 जनवरी से शुरू होने वाले संसद सत्र में प्रमुख रूप से तीन नये कृषि कानूनों के मुद्दे को उठाएगी। साथ ही कांग्रेस ने बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का भी बहिष्कार करने की बात कही है, जिस पर उसकी काफी आलोचना भी हो रही है।
राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा है कि संसद के इस सत्र में किसान आंदोलन और मजदूरों की अनदेखी के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष के 16 दल एक साथ आकर 29 जनवरी को होने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे। इसके पीछे का मुख्य कारण संसद से कृषि कानून को विपक्ष की गैरमौजूदगी में जबरदस्ती पास कराया गया है। इसके बावजूद राष्ट्रपति ने विपक्ष की बातों पर ध्यान नहीं दिया।
राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने वाले राजनीतिक दलों में कांग्रेस के साथ एनसीपी, शिवसेना, टीएमसी, डीएमके, जेकेएएस, समाजवादी पार्टी, राजद, सीपीआईएम, सीपीआई, आईयूएमएल, आरएसपी, आरडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस, एआईयूडीएफ शामिल हैं।
वहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की बात पर मेरठ से भाजपा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कांग्रेस की आलोचना की है। उन्होंने कहा है विपक्ष का फैसला निंदनीय है। उन्होंने पूछा कि क्या कृषि बिल को पास कराने के समय संसद को बंधक बनाया गया था.. या फिर विपक्ष को बोलने से रोका गया था। विपक्ष ने स्वयं सदन से वॉक आउट किया था। ऐसे में विपक्ष का राष्ट्रपति के प्रति इस प्रकार का रवैया लोकतांत्रिक मान्यताओं और संसदीय कार्यप्रणाली का अपमान है।
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उल्लेखनीय है कि 29 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान एक फरवरी को संसद में वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया जाएगा। दो चरणों में चलने वाला बजट सत्र आठ अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा, जबकि दूसरा चरण आठ मार्च से आठ अप्रैल तक चलेगा।