Tuesday, November 5, 2024
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14 अगस्त का इतिहास : आज ही के दिन छलनी हुआ भारत मां का सीना, देश के हुए थे दो टुकड़े…

नई दिल्लीः 14 अगस्त 1947 का दिन इतिहास का एक गहरा जख्म है। यह वही दिन है, जब देश के दो टुकड़े हुए थे और पाकिस्तान अस्तित्व में आया। बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। इस विभाजन में भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े किये गए। इस बंटवारे ने बंगाल का भी विभाजन किया गया जिसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया जो 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बना।

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बंटवारे की लकीर खिंचते ही हुआ था कत्लेआम

भारत का बंटवारा सबसे खूनी घटनाक्रम का दस्तावेज बन गया। दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातोंरात लाखों लोग अपने ही देश में बेगाने हो गए और अपने हिस्से के देश में जाने को मजबूर हुए। इस अदला-बदली में लाखों लोगों का कत्लेआम, जो सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गया। यह किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था।

1947 में विभाजन के बाद अस्तित्व में आया था पाकिस्तान-

कहने को तो यह एक देश का बंटवारा था, लेकिन दरअसल यह दिलों का, परिवारों का, रिश्तों का और भावनाओं का बंटवारा था। भारत मां के सीने पर बंटवारे का यह जख्म सदियों तक रिसता रहेगा और आने वाली नस्ले तारीख के इस सबसे दर्दनाक और रक्तरंजित दिन की टीस महसूस करती रहेंगी। आज ही के दिन 1947 में भारत के विभाजन के बाद मुस्लिम बहुमत वाला पाकिस्तान बनाया गया।

इसी दिन ब्रितानी प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और अमरीकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट के बीच कई दिनों तक चलने वाली एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी कर कहा गया कि ब्रिटेन और अमेरीका हिटलर के पतन के लिए मिल कर काम करेंगे।

किसने किया था विभाजन का विरोध किया

बता दें कि देश में विभाजन के लिए कई नेता तैयार नहीं थे। लेकिन निज़ामों ने विरोध करने वालों की एक न सुनी। आजादी के पूर्व तक बाबा साहेब अंबेडकर राजनीति में नहीं थे। दलितों के उत्‍थान के लिए लगातार काम रहे थे। लेकिन उनकी नज़र सियासत पर थी। वे लगातार भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस और उनके बड़े नेताओं महात्‍मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू की गलत और सही नीतियों की आलोचना कर रहे थे। मुस्‍लिम लीग के मोहम्‍मद अली जिन्‍ना को भी उन्‍होंने नहीं बख्‍शा था। उन्होंने विभाजन का कड़ा विरोध किया था। वो देश को अखंड देखना चाहते थे। उन्होंने इस मुद्दे पर एक किताब ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ भी लिखी।

बंटवारे के बाद जो हुआ वो बहुत ही भयवाह था-

बटवारे के बाद कई महीनों तक दोनों नए देशों के बीच लोगों की आवाजाही होती रही। भारत से कई मुसलमानों ने डर और अपने मुल्क की चाहत में पलायन किया तो पाकिस्तान से हिन्दुओं और सिखों ने अपना घर छोड़ दिया। जो नहीं छोड़ना चाह रहे थे उन्हें हालातों ने मजबूर कर दिया। इस दौरान लूटपाट, हत्याएं, बलात्कार जैसी कई संगीन वारदातों ने इस तारीख को लोगों के ज़ेहन में काली स्याही पोत दी। बहन-बेटियों की लूट हुई। जिसका दंश लोग अबतक भूल नहीं पाए हैं। सीमा रेखाएं तय होने के बाद लगभग 1.45 करोड़ लोगों ने सीमा पार करके अपने ‘नए देश’ में शरण ली।

14 अगस्त की अन्य अहम घटनाएंः

1862ः बंबई उच्च न्यायालय की स्थापना हुई।

1908ः इंग्लैंड के फोकेस्टोन में पहली सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन।

1924: जाने-माने लेखक और पत्रकार कुलदीप नैयर का जन्म।

1968ः मोरारजी देसाई पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित।

1971ः बहरीन 110 वर्षों बाद ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ।

1975ः पाकिस्तानी सेना ने राष्ट्रपति मुजीब उर-रहमान का तख्तापलट किया।

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