देश Featured

हुगली नदी में लॉन्च में हुआ नौसेना की एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट 'एंड्रोथ'

Navy's Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft launched in Hooghly River
  नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के लिए दूसरी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट 'एंड्रोथ' मंगलवार को हुगली नदी में लॉन्च की गई। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स भारतीय नौसेना के लिए आठ वाटर क्राफ्ट का निर्माण कर रहा है। ये 'साइलेंट हंटर्स' भारतीय नौसेना को सौंप दिए जाने पर तटीय सीमाओं पर दुश्मनों की पनडुब्बियों का पता लगाने में आसानी होगी। भारतीय नौसेना के लिए 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में 8 एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) कॉर्वेट बनाए जा रहे हैं। भारतीय नौसेना की 2026 तक सभी 8 जहाजों को सक्रिय सेवा में शामिल करने की योजना है। जीआरएसई में निर्मित इसी परियोजना की दूसरी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट 'एंड्रोथ' को आज कोलकाता में लॉन्च किया गया। नौसेना पश्चिम कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की अध्यक्षता में लॉन्च समारोह में जहाज ने 14.30 बजे हुगली नदी के पानी के साथ अपना पहला संपर्क बनाया। नौसेना की परंपरा के अनुसार उनकी पत्नी शशि त्रिपाठी ने अथर्ववेद के मंत्रोच्चारण के साथ जहाज का शुभारंभ किया। बंगाल क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पूर्व भारतीय क्रिकेटर अरुण लाल समारोह के सम्मानित अतिथि थे। केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के उत्तर-पश्चिम में स्थित एंड्रोथ द्वीप का रणनीतिक समुद्री महत्व दर्शाने के लिए इस जहाज का नाम एंड्रोथ रखा गया है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और रक्षा मंत्रालय के बीच 29 अप्रैल, 19 को आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट का निर्माण करने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। अर्नाला श्रेणी के यह जहाज भारतीय नौसेना में सेवारत अभय वर्ग एएसडब्ल्यू कॉर्वेट्स की जगह लेंगे। तटीय जल में पनडुब्बी रोधी संचालन, लो इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशंस और तटीय जल में उपसतह निगरानी सहित माइन बिछाने के लिए इन्हें डिजाइन किया गया है। अनुबंध के अनुसार 77.6 मीटर लंबे और 10.5 मीटर चौड़े ये जहाज तीन डीजल चालित जेट वाटर द्वारा संचालित हैं और तटीय जल की निगरानी के साथ खोज और हमले में सक्षम हैं। यह 25 समुद्री मील की अधिकतम गति के साथ 900 टन का भार ले जाने में सक्षम हैं। इन जहाजों में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी। जीआरएसई में निर्मित पहली एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पिछले साल दिसंबर में नौसेना में शामिल की गई थी। इसे रक्षा मंत्रालय की वित्तीय सलाहकार रसिका चौबे ने नौसेना में शामिल किया था। परियोजना का दूसरा जहाज इसी साल दिसंबर तक भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की योजना है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)