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साहब ही बिजली उपभोक्ताओं को लगा रहे थे चूना

लखनऊः राजधानी में बिजली उपभोक्ताओं को ज्यादा बिल सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। इसमें बिजली विभाग के कई अफसर भी शामिल थे। जिम्मेदार ही उपभोक्ताओं के घरों में लगे स्मार्ट मीटर द्वारा खर्च की गई बिजली को 30 गुना ज्यादा दिखाने लगे। अधिकारियों को इसकी जानकारी थी, इसके बाद भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उसे दबाने की भरपूर कोशिश कर बिजली उपभोक्ताओं को लूटते रहे।

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने राजधानी में बिजली उपभोक्ताओं के यहां लगे स्मार्ट मीटर की खामियों से संबंधित रिपोर्ट दबाते रहे। कई इलाकों में मीटर 30 गुना तक तेज चलते मिले। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने शिकायतों के बाद इसकी जांच के आदेश दिए थे। इसकी उच्चस्तरीय जांच भी की गई थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट ही दबा दी गई। समय बीतता गया और ऊर्जा मंत्री ने अपने आदेश पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी तो अधिकारियों ने वह फाइल दबा दी।

मामला तब बढ़ा, जब एक साल बाद स्मार्ट मीटर के तेज चलने की जांच रिपोर्ट राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद् के हाथ लग गई और इससे अधिकारियों के मिलीभगत होने का अंदेशा भी जाहिर होने लगा। परिषद् के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बीते दिनों ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को इस घपले की जानकारी दी थी। उन्होंने दोषी अभियंताओं के साथ मीटर निर्माता कंपनी के पर कड़ी कार्रवाई की मांग भी की थी।

विभाग में होता रहा खेल बिजली विभाग में भ्रष्टाचार का खेल पहले भी हो चुका है। उपभोक्ता परिषद् की शिकायत पर राजधानी में दो बार स्मार्ट मीटर तेज चलने की जांच कराई गई थी। इसमें मीटर कई गुना तेज चलते मिले थे, मगर उच्चाधिकारियों ने इस मामले को दबाकर उन उपभोक्ताओं के मीटर बदल दिए। इससे खामियों वाले व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं की गई। प्रदेश में अक्टूबर 2018 से स्मार्ट मीटर लगने शुरू हुए थे।

शुरू से ही मिलने लगी थीं शिकायतें लखनऊ के ठाकुरगंज, अपट्रॉन व कुछ अन्य उपकेंद्रों में यह काम शुरू होने के साथ ही स्मार्ट मीटर के तेज चलने की शिकायतें की जाने लगीं थीं। उपभोक्ता परिषद् ने नियामक आयोग में इस मामले को उठाया था। साथ ही कहा था कि बिजली विभाग की गड़बड़ी की जांच की जाए। इस मांग पर पावर कॉर्पोरेशन के निर्देश पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने जांच कराई थी। इसमंें वर्ष 2019 में स्मार्ट मीटर वाले दो उपभोक्ताओं के परिसर में चेक मीटर लगाया था। इसके बाद वह कमी भी उजागर हुई, जिसकी शिकायत की जा रही थी। लेसा के अपट्रॉन और ठाकुरगंज उपकेंद्र के पांच उपभोक्ताओं के घर पर मध्यांचल निगम के निर्देश पर स्मार्ट मीटर के समानांतर चेक मीटर लगवाकर जांच कराई गई थी। पता चला था कि ठाकुरगंज क्षेत्र में तीन उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर कई सौ गुना तेज चल रहे थे।

67 की जगह थी 550 यूनिट की रीडिंग राजधानी के रहने वाले उपभोक्ता हसीन खां के घर में चेक मीटर लगाया गया था। यहां 24 दिन तक बिजली की खपत चेक की गई थी। मजेदार बात यह थी कि उनके स्मार्ट मीटर में 550 यूनिट रीडिंग थी, जबकि चेक मीटर में महज 67 यूनिट रीडिंग थी। यही हाल तारावती के स्मार्ट मीटर का भी था। यूनिट रीडिंग 868 थी, जबकि चेक मीटर में सिर्फ 29 यूनिट बिजली खर्च रिपोर्ट थी।

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15 दिन में होगी कार्रवाई ऊर्जा मंत्री को जब यह जानकारी मिली कि उपभोक्ताओं को 30 गुना ज्यादा बिल भरना पड़ेगा तो उन्होंने पूरे मामले की जानकारी कर अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को जांच कराने के आदेश दिए। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि दोषी अभियंताओं और मीटर निर्माता कंपनी पर 15 दिन में कार्रवाई करें और इसकी रिपोर्ट दें।