मौनी अमावस्या पर देवी-देवता स्वर्ग लोक से आकर गंगा में करते हैं वास, पितृ दोष से भी मिलती है मुक्ति

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वाराणसीः माघ माह की मौनी अमावस्या इस बार एक फरवरी मंगलवार को खास महोदय योग में है। महोदय योग साल में एक बार ही बनता है। यह योग अमावस्या तिथि, श्रवण नक्षत्र व व्यतिपात योग के संयोग से बनता है। मौनी अमावस्या पर्व पर मौन रहकर स्नान-दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन किसी गरीब या जरुरतमंद को तिल के लड्डू, कंबल, आंवला जैसी चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन देवी-देवता स्वर्ग लोक से आकर गंगा में वास करते हैं। इस वजह से इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पाप मिट जाते हैं और कष्ट दूर होते हैं। स्नानपर्व पर प्रयागराज और हरिद्वार में विशेष स्नान होता है। मौनी अमावस्या मौन रहकर पितृ दोष से मुक्ति पाने का भी दिन है। इस दिन पितरों का पिंडदान व तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों पर पितृ दोष होता है। उनके शुभ कार्यों में बाधाएं आने लगती हैं परिवार में सुख-शांति का अभाव रहता है। वंश वृद्धि में समस्याएं आती हैं। इस दिन निम्न उपायों से पितृदोष को भी शांत किया जा सकता है।

1- पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें।
2- पितृ दोष निवारण के लिए लोटे में जल लें और इसमें लाल फूल और सा काले तिल डालें।
3- इसके बाद अपने पितरों की शांति की प्रार्थना करते हुए सूर्य देव को ये जल अर्पित करें।
4- पीपल के पेड़ पर सफेद रंग की कोई मिठाई चढ़ाएं और उस पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें।
5- मौनी अमावस्या के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कंबल और वस्त्र जैसी चीजें जरूर दान करें।

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वास्तु से भी हो सकता है पितृ दोष का निवारण
पितृ दोष निवारण के लिए वास्तु के अनुसार भी कुछ खास किये जा सकते हैं। इस दिन घर की दक्षिण दिशा की तरफ सफेद कपड़े पर थोड़े से तिल रख लें उसके ऊपर पीतल या तांबे का एक पित्र यंत्र स्थापित करें इसके बाईं तरफ पितरों के लिए तिल के तेल का दीपक जला लें। जल से भरा एक स्टील का लोटा केंद्र में रखें इसके ऊपर स्टील की प्लेट और उस पर तिल लगी रोटी रखें अब इसके ऊपर तुलसी का पत्ता रखें। एक सफेद फूल चढ़ाएं और चंदन से तिलक करें। इस रोटी के चार भाग कर एक टुकड़ा कुत्ते को खिलाएं। दूसरा टुकड़ा गाय को खिलाएं। तीसरा टुकड़ा कोवै को खिलाएं और चौथा टुकड़ा पीपल के पेड़ के नीचे रखें। ध्यान रखें कि ये सारा काम आपको मौन रह कर ही करना है।

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