भोपाल: सामान्य और पिछड़ा वर्ग के 11 पशु चिकित्सकों को पदोन्नत करने के मामले में शुक्रवार को मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सख्ती दिखाते हुए सुनवाई में उपस्थित पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव और संचालक से तीन दिन में जवाब मांगा है। कोर्ट ने 13 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से दोनों अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, पदोन्नाति में आरक्षण मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने मामले में यथास्थिति के निर्देश दिए हैं। इस कारण सरकार ने मध्य प्रदेश में छह साल सात माह से पदोन्नति पर रोक लगा रखी है। वर्ष 2018 में धीरेंद्र चतुर्वेदी विरुद्ध मप्र शासन प्रकरण में हाई कोर्ट ने यथास्थिति के अंतरिम आदेश की व्याख्या दी थी, जिसमें स्पष्ट कर दिया था कि सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पदोन्नति में कोई दिक्कत नहीं है।
इसे आधार बनाकर 11 पशु चिकित्सकों ने उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में पदोन्नति के लिए याचिका दायर की थी। जिसमें सिंगल एवं डबल बेंच ने शासन को पदोन्नति के आदेश दिए थे। फिर भी पदोन्नति नहीं की गई, तो पशु चिकित्सकों ने पुनर्विचार याचिका दायर की। उसमें भी यही आदेश दिए गए। फिर भी शासन ने पदोन्नत नहीं किया। इसको लेकर चिकित्सकों ने अवमानना याचिका लगाई है। अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने विभाग के प्रमुख सचिव और संचालक को फटकार लगाते हुए तीन दिन में जवाब मांगा है।
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इधर, यह जानकारी भी सामने आई है कि मामले में हाई कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए पशुपालन विभाग इन पशुचिकित्सकों को पदोन्नत करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। उम्मीद है कि 13 दिसंबर से पहले विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक कराई जा सकती है।
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