नई दिल्ली: हिमंत बिस्वा सरमा सरकार असम में बाल विवाह के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर रही है। बाल विवाह को लेकर यहां बवाल मचा हुआ है। वहीं, इससे जुड़े मामलों में पुलिस की कार्रवाई भी जारी है। इसको लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने असम सरकार के कदम को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल बयानबाजी कर रहे हैं और बाल विवाह के नाम पर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
एनसीपीसीआर की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि असम सरकार की यह पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे राज्य भी इसी तरह के कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि एक स्थानीय पार्टी जो राज्य में कानून नहीं बनाने की बात कर रही है वह बकवास है और ऐसे लोगों को राजनीति में आने की जरूरत नहीं है. बाल विवाह रोकथाम अधिनियम और POCSO जैसे केंद्रीय कानून हर जगह लागू होते हैं और उसी के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।
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प्रियंक कानूनगो ने ओवैसी को सलाह भी दी कि बच्चों के मामले में नेताओं और राजनीतिक दलों को संवेदनशील होना चाहिए। नाबालिग बच्चियों का शोषण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर और सरकार के पास बच्चों के पुनर्वास का रोडमैप है। मुझे समझ नहीं आता कि लोग इस तरह की हास्यास्पद राजनीतिक बयानबाजी कैसे कर लेते हैं।
गौरतलब है कि असम में अब तक 2 हजार से ज्यादा लोगों को बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पूरे राज्य में अब तक बाल विवाह से जुड़े 4,074 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 8,134 लोगों की पहचान की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी और करीब 3,500 लोगों को गिरफ्तार करना होगा।
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