कर्नाटक में महिला और जुड़वा बच्चों की मौत का मामला: डॉक्टर समेत चार निलंबित

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बेंगलुरू: बेंगलुरू में एक सरकारी अस्पताल में इलाज से मना करने के बाद प्रसव के दौरान एक महिला और उसके जुड़वा बच्चों की मौत के एक दिन बाद कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर ने शुक्रवार को लापरवाही के आरोप में तीन महिला नर्सों और एक डॉक्टर को निलंबित करने का आदेश दिया। उन्होंने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया और दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी।

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करने पर जवाबदेही तय करने और चिकित्सा कर्मचारियों को दंडित करने के लिए एक कानून लाने पर भी विचार करेगी। डॉ के. सुधाकर ने कहा, अगर सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मचारी लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, तो उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा। मैं इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करूंगा और अगर जरूरत पड़ी तो हम विधानसभा के अगले सत्र में कानूनों में आवश्यक संशोधन लाएंगे।

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आधार कार्ड न होने पर नहीं किया था एडमिट-

तमिलनाडु की एक मजदूर गर्भवती महिला को तुमकुर के सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों ने भर्ती करने से इंकार कर दिया था, क्योंकि उसके पास कथित तौर पर आधार कार्ड या राज्य सरकार के मातृत्व कार्ड जैसे दस्तावेज नहीं थे। डॉक्टरों ने उसे बेंगलुरू के किसी अस्पताल में जाने की सलाह दी गई, लेकिन बेंगलुरू जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने में असमर्थ महिला ने घर पर ही जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। प्रसव में अधिक रक्त बहने के कारण मां की मौत गई, कुछ देर बाद दोनों बच्चों की भी मौत हो गई।

आपात स्थिति में दस्तावेजों पर न दें ध्यान: स्वास्थ्य मंत्री

मंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आपात स्थिति के मामलों में, अस्पतालों को दस्तावेजों पर जोर नहीं देना चाहिए। लगभग 76 अधिसूचित आपातकालीन सेवाएं हैं, और ऐसे मामलों में उपचार से इनकार या देरी नहीं करने के निर्देश पहले से ही हैं। यदि सरकारी अस्पतालों में इलाज उपलब्ध नहीं है तो लोग निजी अस्पतालों में भी इसका लाभ उठा सकते हैं और खर्च सरकार वहन करेगी।

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