Saturday, November 23, 2024
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अजवाइन की खेती से कमाइए मोटा मुनाफा, यहां की मिट्टी है इसके लिए बेहद अनुकूल

लखनऊः अजवाइन जिस तरह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है, उसी तरह इसकी खेती किसानों के लिए काफी मुनाफे का सौदा है। मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में भी प्रयुक्त किए जाने के चलते वर्ष भर इसकी मांग रहती है, ऐसे में इसका उत्पादन कर अच्छी कमाई की जा सकती है। राजधानी लखनऊ के भी तमाम किसान इसकी खेती कर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। अजवाइन एक वनस्पति है और इसे मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। बाजारों में हर जगह पर इसकी मांग रहती है, इसलिए हर खाद्य पदार्थ विक्रेता इसे अपनी दुकान पर रखता है। अजवाइन दवा के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है। जो किसान अजवाइन की खेती कर रहे हैं, वह मालामाल हो रहे हैं। राजधानी व आस-पास के इलाकों में दोमट मिट्टी प्रचुर मात्रा में है और यह अजवाइन की पसंदीदा मिट्टी है।

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अजवाइन की खेती करने के इच्छुक किसानों के लिए जरूरी है कि वह पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच किसी विशेष केंद्र से करवा लें। इस बात की तस्दीक हो जानी चाहिए कि जिस मिट्टी में किसान बीज बोना चाहता है, वह अजवाइन के लायक है। यदि मिट्टी उपज युक्त है, तो 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट को बुवाई से एक माह पहले खेत में डालकर जोत दें। अच्छी तरह से मिट्टी में इस खाद की गुणवत्ता पहुंच जानी चाहिए। नाइट्रोजन, फास्फेट और पोटाश की भी जरूरत इस फसल को होती है, इसलिए बुवाई से पहले ही इसकी भरपाई कर दें। सभी फसलों की तरह ही अजवाइन को सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिए ध्यान रखें कि खेत की मिट्टी की नमी न गायब हो। वैसे तो फसल को चार सिंचाई की जरूरत पड़ती है, लेकिन यदि बारिश की मेहरबानी हो रही हो तो नमी देखकर ही सिंचाई करें।

खर-पतवार बन सकती है मुसीबत

इन दिनों किसानों की सबसे अधिक परेशानी खर-पतवार है। वह जब भी खेत में बीज बोते हैं, उन दिनों की लापरवाही बाद में बड़ी मुसीबत बनती है। परिणाम होता है कि खेत में फसल बर्बाद हो जाती है, इसीलिए खर-पतवार नियंत्रण करने के लिए ऑक्सीडाइआर्जिल का बुवाई के बाद तथा बीज अंकुरण से पहले ही कर देना चाहिए। यह 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छोड़ा जाता है। माना जाता है कि मध्यम ठंडा एवं शुष्क जलवायु अजवाइन के लिए अनुकूल होता है। अजमेर अजवाइन व प्रताप अजवाइन यूपी के मुख्य बीज हैं। यह पैदावार में माहिर हैं। किसान यदि सितंबर से अक्टूबर तक रबी की फसल तथा जुलाई से अगस्त तक खरीफ फसल के लिए बीज बो दें, तो अपेक्षानुसार उत्पादन का लाभ ले सकते हैं।

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