धीमा सीखता है आपका बच्चा, तो हो जाएं सतर्क


लखनऊः हर बच्चा अलग-अलग समय पर चलना व बोलना सीखता है। बच्चे अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर चलना-बोलना सीखते हैं और हर बच्चे में यह समय भिन्न-भिन्न हो सकता है। यदि आपका बच्चा अभी नहीं चल पा रहा और उसी उम्र के दूसरे बच्चे चलना सीख गए, तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आपका बच्चे को कोई समस्या है या वह (लेट लर्नर) देर से चलना सीख रहा है। अगर आपका बच्चा 18 महीनों का होने पर भी न चल पाने की स्थिति में हो, तो बाल रोग विशेषज्ञ से जरूर सम्पर्क करें। इसी लेट लर्नर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बच्चों के बारे में जानकारी लेने के लिए संवाददाता पवन सिंह चौहान ने लोहिया अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. नेहा ठाकुर से विशेष बातचीत की।


डॉ. नेहा ठाकुर ने बताया कि बच्चा जब पैदा होता है, तो तुरंत रोता है। चूंकि बच्चे के पैदा होने के समय उसके शरीर व ब्रेन को ग्रोथ के लिए भी आॅक्सीजन की जरूरत रहती है, जो उसे रोने से मिल जाती है। समस्या उन बच्चों में आती है, जो बच्चे पैदा होने के बाद तुरंत रोते नहीं हैं। उनके ब्रेन में आॅक्सीजन कम जा पाता है। इसे बर्थ एसफिक्सिया कहा जाता है। कुछ बच्चों बहुत ज्यादा समय बाद रोते हैं या कुछ बच्चे तो वेंटिलेटर पर चले जाते हैं। डाॅ. नेहा ने बताया कि यह वही बच्चे होते हैं, जिनकी न्यूरोलॉजिकल ग्रोथ में हानि देखने को मिलती है। इन्ही बच्चों में ऐसा दिखाई देता है कि दूसरे बच्चों की अपेक्षा ये चलने, बोलने या खड़े होने जैसी गतिविधियों में पीछे रह जाते हैं। इसी अवस्था को सेरिब्रल पाल्सी कहा जाता है।

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सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जो बच्चों की शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है। दरअसल, सेरेब्रल शब्द का अर्थ मस्तिष्क के दोनों भागों से होता है और पाल्सी शब्द का अर्थ शारीरिक गति की कमजोरी या समस्या से है। यह एक तरह की विकलांगता है, जिसमें बच्चो को वस्तु पकड़ने और चलने में समस्या होती है। एक रिसर्च के अनुसार जो बच्चे पैदा होते ही नहीं रोये या फिर समय से पहले ही पैदा हो गए, उनमें यह लक्षण ज्यादा दिखाई देता है। ऐसे बच्चों को मां के पेट में भी ऑक्सीजन पर्याप्त में नहीं मिल पा रही थी, इससे उनका विकास बाकी बच्चों की अपेक्षा पीछे हो जाता है। डॉ. नेहा का कहना है कि न्यूरोलॉजिकल ग्रोथ में कमी की स्थिति जेनेटिक भी हो सकती है। हो सकता है भाई-बहन में भी ऐसा देखा गया हो या अन्य रिश्तेदारों में देर से सीखने की प्रवृत्ति हो। बच्चों के अन्य बच्चों की अपेक्षा पीछे रहने की वजह जेनेटिक कारण भी हो सकता है।


तुरंत करना चाहिए सम्पर्क

अगर आपका बच्चा अन्य बच्चों की अपेक्षा धीमी गति से सीख रहा है तो कोई घबराने की बात नहीं है, लेकिन अगर सीखने की रफ्तार न के बराबर दिखाई दे या बहुत धीमी हो तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए। सबसे पहले डाॅक्टर इसी चीज को देखेगा कि बच्चा अन्य बच्चों की अपेक्षा कितना पीछे चल रहा है। इसके अलावा ऐसे बच्चों को फीजियोथेरेपी होना भी बहुत जरूरी है। इसके साथ ही अर्ली स्टीम्यूलेशन होना बहुत जरूरी है।

रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान

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