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गौ पालन के लिए योगी सरकार दे रही है अनुदान, इस दिन तक करें आवेदन

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कानपुर: नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत योगी सरकार किसानों और गोपालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए अनुदान दे रही है। अनुदान के लिए सरकार ने एक नवंबर से 30 नवंबर तक आवेदन मांगे हैं। मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत दस देशी उन्नत नस्ल की गायों की इकाई स्थापित करने के लिए दो चरणों में 11 लाख 80 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है।

ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन

यह जानकारी गुरुवार को कानपुर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी आईडीएन चतुर्वेदी ने दी। उन्होंने बताया कि यूपी नंद बाबा दुग्ध मिशन के निदेशक राकेश कुमार मिश्रा ने पत्र जारी कर प्रदेश के सभी जिलों से गौ पालन का नया उद्योग शुरू करने के लिए आवेदन मांगे हैं। ऐसे किसानों और गोपालकों से इस योजना का लाभ उठाने के लिए एक नवंबर से 30 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन करने की अपील की गई है।

इन्हें नहीं मिलेगा लाभ

उन्होंने बताया कि पूर्व में संचालित कामधेनु, माइक्रो कामधेनु योजना अथवा नन्द बाबा दूध मिशन अथवा मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना के अन्तर्गत संचालित नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना के लाभार्थी इस योजना का लाभ पाने के पात्र नहीं होंगे।

योजना का लाभ लेने के लिए कहां करें आवेदन

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि इस योजना के सम्बन्ध में आवेदन पत्र का प्रारूप एवं सम्बन्धित शासनादेश विभागीय पोर्टल https://updairydevelopment.gov.in एवं https://www.animalhusb.upsdc.gov.en पर तथा सम्बन्धित जिले के मुख्य विकास अधिकारी एवं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध है तथा अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के उपरोक्त विभाग के कार्यालय से ले सकते हैं।

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उन्होंने बताया कि यह योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू है। लाभार्थी अंश में 15 प्रतिशत, बैंक ऋण 35 प्रतिशत तथा इकाई लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस अनुदान के माध्यम से साहीवाल एवं थारपारकर नस्ल की दस गायों की परियोजना की कुल अनुमानित लागत 23.60 होगी। लाभार्थी द्वारा गाय का क्रय राज्य के बाहर से, जहां तक ​​संभव हो प्रजनन पथ से किया जाएगा।

क्रय की जाने वाली गाय प्रथम या द्वितीय ब्यांत वाली होनी चाहिए तथा पशु ने डेढ़ माह से पहले ब्यांत नहीं दिया हो। इसके साथ ही इकाई स्थापित करने के लिए 0.20 एकड़ 8712 वर्ग फीट भूमि तथा चारा उत्पादन के लिए 80 एकड़ 34848 वर्ग फीट भूमि स्वयं की अथवा पुश्तैनी अथवा न्यूनतम 7 वर्ष के लिए ठेके या पट्टे पर ली गई होनी चाहिए।

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