Year Ender 2024: उत्तर प्रदेश में 2007 में 30.43 प्रतिशत वोट हासिल कर अपने दम पर सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) का प्रदर्शन साल दर साल खराब होता जा रहा है। साल 2024 की बात करें तो पहले कयास लगाए जा रहे थे कि गठबंधन करके BSP बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले ने उसे 9.27 प्रतिशत वोटों पर लाकर खड़ा कर दिया। बची हुई कमी उपचुनावों में पूरी हो गई और कोई भी उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सका।
इस तरह साल 2024 BSP के लिए पूरी तरह से निराशाजनक रहा और कार्यकर्ता भी मायूस हो गए हैं, लेकिन फिर भी पार्टी का करीब 10 प्रतिशत वोट कभी भी राजनीति की नई दिशा लिख सकता है। यह वह मतदाता है जिसे अगर कट्टर कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि हाल ही में BSP प्रमुख मायावती के निर्देश पर यह कार्यकर्ता बाबा साहब के अपमान को लेकर पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराने से पीछे नहीं हटे।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के उदय में अगर किसी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो वह बहुजन समाज पार्टी है। हालांकि सपा को भी नुकसान हुआ है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होने के बाद वह वोट प्रतिशत में अपने अधिकतम को पार करने में सफल रही। इतना ही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा 35 सीटें जीतने के अपने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 37 सीटें जीतने में सफल रही। इस तरह उत्तर प्रदेश में सपा संघर्ष करती नजर आ रही है, लेकिन जिस तरह से चुनाव दर चुनाव BSP का जनाधार खिसक रहा है, उससे मिशन से जुड़ा पार्टी का खेमा भी हताश है।
Year Ender 2024: 2024 का लोकसभा चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के अनुकूल माहौल न होने के बावजूद सपा से गठबंधन BSP के लिए फायदेमंद साबित हुआ और BSP अकेले 10 सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में जब संविधान का मुद्दा लोगों के बीच हावी होने लगा तो यह BSP के लिए सुनहरा मौका था और कयास लगाए जा रहे थे कि BSP गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया और जब नतीजे आए तो सीटें जीतना तो दूर, वोट प्रतिशत 19.43 से घटकर 9.27 प्रतिशत रह गया। इस तरह पार्टी का प्रदर्शन 2007 में पूर्ण शक्ति वाली सरकार के गठन के दौरान मिले 30.43 वोटों के एक तिहाई से भी नीचे पहुंच गया। बची हुई कमी 2024 के विधानसभा उपचुनाव में पूरी हो गई और पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। इससे साफ पता चलता है कि दलित मतदाताओं ने BSP से दूरी बना ली और पार्टी के लिए 2024 का साल निराशा भरा रहा।
Year Ender 2024: चंद्रशेखर बन सकते हैं BSP के विकल्प
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों या यूं कहें कि BSP मतदाताओं के बीच तेजी से अपनी पकड़ बना रही है। पार्टी के मुखिया और नगीना से सांसद चंद्रशेखर दलित चेहरे के तौर पर उभर रहे हैं। सड़कों पर जोरदार तरीके से अपनी आवाज उठाने वाले चंद्रशेखर अब सदन में भी उपेक्षित वर्ग की बात मजबूती से रख रहे हैं। ऐसे में चंद्रशेखर BSP के लिए चुनौती बन गए हैं कि कहीं BSP, सपा का विकल्प न बन जाए। हालांकि BSP के पास अभी भी नौ फीसदी से ज्यादा वोट हैं जो पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। यह भी कहा जा रहा है कि BSP के सबसे खराब प्रदर्शन के बावजूद बाकी वोटर पार्टी के लिए अपनी जान कुर्बान कर सकते हैं। हालांकि बीते सालों की यादों को भुलाकर BSP प्रमुख मायावती नए साल 2025 से 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए क्या रणनीति बनाती हैं, यह आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
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Year Ender 2024: BSP का गिरता ग्राफ
बहुजन समाज पार्टी ने भले ही उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाई और मायावती भी चार बार मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन सिर्फ एक बार 2007 में BSP पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही। 2007 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 30.43 फीसदी वोट मिले थे और 2012 के विधानसभा चुनाव में उसे 25.91 फीसदी वोट ही मिल पाए थे। इसके बाद हर चुनाव में पार्टी का ग्राफ गिरता चला गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में BSP को 19.77 फीसदी, 2017 के विधानसभा चुनाव में 22.23 फीसदी, 2019 के लोकसभा चुनाव में 19.43 फीसदी, 2022 के विधानसभा चुनाव में 12.88 फीसदी और 2024 के लोकसभा चुनाव में BSP महज 9.27 फीसदी वोट पर सिमट गई।
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