नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना प्रदर्शन (Wrestlers Protest) आठ वें दिन भी जारी है। इस बीच रविवार को दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली सभी 7 महिला पहलवानों को सुरक्षा मुहैया कराई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को सिंह पर आरोप लगाने वाली पीड़िताओं को उचित सुरक्षा देने को कहा था।
दिल्ली पुलिस ने सभी महिला पहलवानों को जांच में शामिल होने और सीआरपीसी की धारा 161 के तहत अपने बयान दर्ज करने का भी आह्वान किया है, ताकि भविष्य की कार्रवाई तय की जा सके। सूत्रों की माने तो महिला पहलवान एक-दो दिन में बयान दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस के कनॉट प्लेस थाने आ सकती हैं।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तझेप के बाद शुक्रवार रात बृजभूषण सिंह पर दो एफआईआर दर्ज की गई थी। शनिवार को बृजभूषण सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में से एक की कॉपी पहलवानों को सौंपी गई थी। पुलिस ने कहा कि हालांकि, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी की प्रति पहलवानों को नहीं दी गई है, इसे पीड़ित परिवार को सौंप दिया जाएगा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे जल्द ही पीड़ितों के बयान दर्ज करेंगे। महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में पुलिस ने शुक्रवार शाम को डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
पहलवानों के समर्थन में उतरे कई राजनीतिक दल
गौरतलब है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के समर्थन में तमाम दिग्गज (Wrestlers Protest) उतर आए है। पहलवानों के इस विरोध प्रर्दशन पर अब राजनीति दलों का भी समर्थन मिलने लगा है। शनिवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को समर्थन (Wrestlers Protest) देने पहुंचे थे। उन्होंने देशभर के लोगों से पहलवानों को समर्थन देने और जंतर मंतर पहुंचने की अपील की थी। इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पहलवानों के समर्थन में जंतर-मंतर पहुंची थी। इस दौरान प्रियंका गांधी करीब दो घंटे तक खिलाड़ियों से बात किया।
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी पहलवानों विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए आज सुबह जंतर-मंतर पहुंच गए हैं। इस मौके पर भीम आर्मी प्रमुख ने कहा, ‘यह लड़ाई पार्टी, जाति या धर्म की नहीं है, यह न्याय की लड़ाई है। जबकि सरकार इस जाट आंदोलन बता रही है। सरकार धरने-प्रदर्शन को धर्म के चश्मे से देख रही है।
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