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भगवान बुद्ध की आराधना से बढ़ता है आत्मबल और मान-सम्मान, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

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लखनऊः वैशाख महीने की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की और पूरी दुनिया को सत्य, शांति, मानवता की सेवा करने का संदेश दिया। उन्होंने दुनिया को पंचशील उपदेश दिए। ये पंचशील हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना और नशा न करना है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। शास्त्रों में इस बारे में उल्लेख किया गया है। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के साथ-साथ भगवान विष्णु और चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति का आत्मबल और मान-सम्मान बढ़ता है। उसके जीवन में समृद्धि और सुख बढ़ता है। इसके अलावा बुद्ध पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और वह मोक्ष के रास्ते की ओर बढ़ता है।

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा तिथि 15 मई की मध्यरात्रि 12.45 बजे से शुरू होगी और 16 मई, सोमवार की रात 9.43 बजे तक रहेगी। लिहाजा 16 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसी दिन व्रत रखा जाएगा और विधि-विधान से पूजा-उपासना की जाएगी। इस पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन देव वृक्ष यानी पीपल के पेड़ की पूजा करने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में त्रिदेव का वास होता है। वैशाख पूर्णिमा पर अगर पीपल से जुड़े उपाय किए जाते हैं तो भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति का दुर्भाग्य भी दूर होता है। इस दिन चंद्रग्रहण भी लग रहा है। इसलिए ये उपाय आपके लिए और भी लाभकारी सिद्ध हो सकते है।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान का महत्व
संभव हो तो बुद्ध पूर्णिमा के दिन व्रत जरूर रखें। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें या इसके जल मिले पानी से नहाएं। सूर्य को अर्ध्य दें। पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। भगवान विष्णु की पूजा करें। चंद्र देव की भी रात में पूजा करें। इस दिन दान जरूर दें। बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया दान कई गुना ज्यादा फल देता है। जीवन में आ रहीं बाधाएं दूर होती हैं और खुशियों-सफलता की दस्तक होती है। वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पीपल वृक्ष के नीचे मिट्टी का शिवलिंग बनाए और उनकी पूजा करें। इसके बाद नवग्रहों की शांति के लिए मंत्र का जप करें। ऐसा करने से आपको नवग्रहों की शांति मिलती है और दुर्भाग्य दूर होता है।

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इस मंत्र का करें जाप
ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानुः शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।

इस तरह करें भगवान की पूजा
पीपल पूर्णिमा की सुबह स्नान करने के बाद पीपल के 11 पत्ते लें और इन्हे गंगा जल से शुद्ध कर लें। इसके बाद इन पत्तों पर सिंदूर या लाल चंदन से ‘श्री’ लिखें और इनकी माला बनाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक परेशानी दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं।

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