सुधरने का नाम नहीं ले रहा चीन, 17 हजार से ज्यादा तिब्बतियों को करेगा निर्वासित

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बीजिंगः तिब्बतियों को लेकर चीन का रवैया सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। अब चीन ने पर्यावरण संरक्षण व जीवनशैली में सुधार के नाम पर 17 हजार से ज्यादा तिब्बतियों को निर्वासित करने का फैसला किया है। इसे लेकर तिब्बतियों में आक्रोश है। जानकारी के मुताबिक तिब्बत में रहने वालों को कमजोर करने के लिए चीन हर संभव कोशिश कर रहा है। तिब्बतियों का मानना है कि चीन लगातार तिब्बत में तिब्बतियों की आबादी कम करने पर काम कर रहा है। इसी के तहत चीन सरकार ने नई पुनर्वास योजना बनाई है।

इस योजना के तहत अगले आठ वर्षों में तिब्बत के सौ कस्बों की लगभग डेढ़ लाख आबादी को तिब्बत से बाहर स्थानांतरित करने की बात कही गयी है। फिलहाल तात्कालिक रूप से चीन की सरकार द्वारा अगले डेढ़ महीने में तिब्बत की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर स्थित नागकू शहर में रहने वाले 17,555 लोगों को स्थानांतरित किया जाएगा। चीन सरकार ने इस पुनर्वासन को जीवनशैली में सुधार और पर्यावरण सुरक्षा का हवाला देकर अमल में लाने की बात कही है। कहा गया है कि अगले डेढ़ महीने में ये लोग समुद्र तल से 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थानों से लगभग 3,600 मीटर के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चले जाएंगें।

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चीन के क्षेत्रीय वानिकी और चारागाह प्रशासन निदेशक वू वेई ने कहा है कि नागकू शहर में लोगों का जीवन काफी जटिल है। यहां का मौसम काफी कठोर है और यहां की जमीन अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम उपजाऊ मानी जाती है। यहां घास के मैदान भी अब खराब होने लगे हैं। वू ने दावा किया कि चीनी सरकार की पुनर्स्थापना योजना एक जन-केंद्रित विकास विचार को दर्शाती है, जिसमें पारिस्थितिकी संरक्षण एवं बेहतर जीवन के लिए लोगों की मांग को ध्यान में रखा है। उधर, तिब्बत के लोगों का कहना है कि चीन यह सब जानबूझकर कर रहा है, ताकि तिब्बतियों को उनके मूल निवास से दूर किया जा सके। इसे लेकर आंदोलन भी हो रहे हैं किन्तु चीन सरकार पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है।

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