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ट्रंप के खिलाफ ट्रायल में क्यों आया वारेन हेस्टिंग्स के महाभियोग का जिक्र, जानें वजह

न्यूयॉर्कः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग ट्रायल के दौरान बंगाल के 18वीं शताब्दी के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स का सीनेट में जिक्र किया गया, जब अभियोजन पक्ष ने ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग का हवाला दिया।

ट्रंप के महाभियोग ट्रायल की संवैधानिकता पर मंगलवार को बहस के दौरान, जब वह पहले ही पद छोड़ चुके हैं, प्रतिनिधि सभा के एक डेमोक्रेटिक सदस्य जेमी रस्किन, जो मुख्य अभियोजक हैं, ने हेस्टिंग्स के खिलाफ महाभियोग ट्रायल की मिसाल पेश की, जो हेस्टिंग्स के जवर्नर-जनरलशिप खत्म होने और इंग्लैंड लौटने के लगभग चार साल बाद 233 साल पहले इसी महीने उनके खिलाफ शुरू हुआ था।

रस्किन ने सुझाव दिया कि 1787 में हेस्टिंग्स महाभियोग अमेरिकी संविधान के निर्माताओं के लिए एक मॉडल था, जिन्होंने उसी वर्ष इसका मसौदा तैयार किया था।

उन्होंने कहा, “ऐसे कई लोगों पर महाभियोग चला, जिन्होंने संविधान के प्रारूपकारों के जीवनकाल में पद छोड़ दिया था और वास्तव में, इन महाभियोगों में से सबसे प्रसिद्ध तब हुआ, जब संविधान को लिखने के लिए फिलाडेल्फिया में निर्माता इकट्ठे हुए थे। यह बंगाल के ब्रिटिश उपनिवेश के पूर्व गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स का महाभियोग था।”

एक अन्य अभियोजक, डेमोक्रेटिक नेता जो नेग्यूज ने भी हेस्टिंग्स के महाभियोग का उल्लेख किया। ट्रंप के प्रमुख वकील ब्रूस कैस्टर ने कहा कि इसकी अमेरिका के लिए कोई प्रासंगिकता नहीं है। “हम ब्रिटिश प्रणाली को छोड़ चुके हैं।” उन्होंने कहा कि यदि ब्रिटेन के इतिहास का उपयोग किया जाना है, तो सवाल यह है कि क्या “हमारे देश में एक संसद होनी चाहिए और हमारा राजा होना चाहिए?”

उन्होंने पूछा, “क्या ये वो चीज है जिसकी ओर हम जा रहे हैं?” बचाव पक्ष के एक अन्य वकील डेविड स्कोन ने कहा कि संविधान के निमार्ताओं ने ब्रिटिश मॉडल को खारिज कर दिया था, जिसमें राजा को छोड़कर किसी के भी महाभियोग की अनुमति दी गई थी और इसे केवल उन लोगों तक सीमित कर दिया था, जो पद पर हो। हेस्टिंग्स को अंतत: दोषमुक्त होने के आठ साल बाद 1795 में हाउस ऑफ लॉर्डस द्वारा बरी कर दिया गया था। उन पर भ्रष्टाचार, अधिकार का दुरुपयोग और दुर्व्यवहार और भारतीयों को अनुचित रूप से फांसी देने का आरोप लगा था।

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ट्रायल की शुरुआत में सीनेट को इस सवाल का जवाब ढूंढना था कि क्या ट्रंप पर पद छोड़ने के बाद महाभियोग चलाया जा सकता है। अंतत: सीनेट में महाभियोग के पक्ष में 56 और विपक्ष में 44 वोट पड़े जो संविधान के तहत ट्रंप के पद छोड़ने के बाद भी उनके खिलाफ ट्रायल की अनुमति देता है।

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