Home आस्था Sawan 2024 : भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी, जानें...

Sawan 2024 : भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी, जानें इसके पीछे की वजह

lord-shiva

Sawan 2024: हिंदू धर्म में हर देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व होता है। भक्‍त पूजा में अपने-अपने इष्ट देवों को उनकी पसंद की सभी चीजें अर्पित कर उनकी वि‍धि-विधान से पूजा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि, भगवान शिव के पूजन में तुलसी दल क्यों अर्पित नहीं किया जाता?

दरअसल, हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की बेहद ही व्‍यवस्थित और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा की जाती है। उनको उनकी पसंद की कई चीजें चढ़ाई जाती है। वहीं अगर भगवान शिव की बात करें तो उनके भक्‍तों को अच्‍छी तरह से मालूम है कि, भगवान शिव को सबसे ज्‍यादा क्‍या पसंद है।

ये चीजें भगवान शिव को है प्रिय 

अगर मान्यताओं की बात करें तो भगवान शिव का जल, केसर, चीनी, इत्र, दूध, दही, घी, चंदन, शहद से अभिषेक किया जाता है। लेकिन, भगवान शिव को बेल पत्र और धतूरा बेहद ही प्रिय है। तभी तो हर शिवरात्रि पर भगवान शिव को यह जरूर अर्पित किया जाता है कहा जाता है कि, इससे भक्त पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि, भगवान शिव पर कभी भी तुलसी दल नहीं चढ़ाया जाता है। इसके पीछे क्या वजह है आईये आपको बताते हैं।

शिव जी पर तुलसी न चढ़ाने की पौराणिक कथा  

धार्मिक कथाओं की माने तो एक समय जलंधर नाम का राक्षस हुआ करता था, जो बेहद ही अत्याचारी था। उसकी पत्नी का नाम वृंदा था। वह अपनी पत्‍नी पर भी अत्याचार करता था। इससे परेशान भगवान शिव ने श्री हरि से कहा कि, वह राक्षस को सबक सिखाए। जलंधर की पत्‍नी वृंदा बेहद ही पतिव्रता स्‍त्री थी। भगवान शिव के कहे अनुसार भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के धर्म को भंग कर दिया। कथाओं के अनुसार पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था। जलंधर शिव का ही अंश था, लेकिन अपने बुरे कर्मों के चलते उसने राक्षस कुल में ही जन्‍म लिया था। असुरराज को अपनी वीरता का घमंड था लेकिन वो अपनी पत्‍नी की पतिव्रता की वजह से ही जीवित था।

ये भी पढ़ें: Nag Panchami 2024: नाग पंचमी कब है ? जानें सही डेट, पूजा-विधि और महत्व

जब राक्षस की पत्‍नी वृंदा को इस चाल के बारे में पता चला कि, भगवान विष्णु ने उनका पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया तो उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया। वृंदा के श्राप के बाद भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह उसे उसके राक्षस पति से बचा रहे थे। तभी, भगवान ने उसे श्राप दिया कि तुम लकड़ी की बन जाओ। भगवान के इसी श्राप के कारण तुलसी आज तक श्रापित हैं इसलिए आज तक उन्‍हें भगवान शिव की पूजा में इस्‍तेमाल नहीं किया जाता। तुलसी दल के अलावा भगवान शिव को केतकी का फूल, नारियल का पानी, टूटे हुए चावल, काला तिल, सिंदूर और हल्दी अर्पित नहीं करने चाहिए।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

 

Exit mobile version