World Rhino Day 2022: क्यों मनाया जाता है राइनो डे, जानें इसका इतिहास और भारत में इनकी स्थिति

नई दिल्लीः आज विश्व राइनो दिवस है। पूरी दुनिया में गैंडों (rhino) के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इनके रहन-सहन के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण करने के लिए हर साल वर्ल्ड राइनो डे 22 सितम्बर को मनाया जाता है। पहली बार वर्ल्ड राइनो डे 2011 को मनाया गया था। विश्व में गैंडों (rhino) की कुल पांच प्रजातियां सफेद, काला, एक सींग वाले, सुमात्रा और जावा पाई जाती हैं।

एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में राइनो पाये जाते हैं। चीन और वियतनाम इनके सींग (rhino horns) के बड़े अवैध बाजार हैं। इनके सींग से आकर्षक ज्वैलरी से लेकर दवाइयां तक बनाई जाती हैं, जिस कारण गैंडों का बड़े स्तर पर अवैध शिकार होता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2015 में अफ्रीका में 1300 और 2017 में 691 गैंडों को दक्षिण अफ्रीका में मार दिया गया। 1970 में जहां दुनिया में गैंडों (rhino) की संख्या 70 हजार थी, वहीं अब केवल 27 हजार रह गई है। सालों से इनके अवैध शिकार और रहने के लिए उपयुक्त वातावरण के क्षरण की वजह से ब्लैक, जावा और सुमित्रा प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर हैं। आज जावा राइनो की कुछ संख्या केवल राष्ट्रीय पार्कों में ही सिमट कर रह गई है।

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सींग के लिए होता है शिकार –

राइनो की सींग (rhino horns) बेशकीमती मानी जाती है, इस वजह से इनका सबसे ज्यादा अवैध शिकार होता है। इनके सींग कई तरह की दवाइयों के निर्माण में भी काम आता है। गैंडों (rhino) के शिकार के कारण इनकी संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है और इसी वजह से लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल राइनो दिवस मनाया जाता है।

भारत में गैंडों की संख्या –

भारत और नेपाल में एक सींग वाले गैंडे पाये जाते हैं। इन्हें इंडियन राइनो के नाम से भी जाना जाता है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, वर्तमान में भारत में गैंडों की संख्या साढ़े तीन हजार के आसपास है। सींग के कारण राइनो का भारत में बड़े स्तर पर अवैध शिकार किया जाता था, जिस कारण 20 वीं सदी की शुरुआत में इनकी संख्या घटकर केवल 200 रह गई थी। इसके बाद इनके संरक्षण के लिए कड़े कानूनों को लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में गैंडों की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई। भारत में सबसे ज्यादा गैंडे असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में रहते हैं।

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