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जानिए जम्मू-कश्मीर में जमीन क्यों नहीं खरीद रहे लोग, दो साल में बिके सिर्फ दो प्लॉट

नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को हटे दो साल से अधिक का समय हो गया है। घाटी में नियमों में बदलाव के बाद अब किसी भी राज्य का व्यक्ति ज़मीन खरीद सकता है। हालांकि हकीकत इससे बहुत अलग है।

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जम्मू-कश्मीर में कितने बाहरी लोगों ने जमीन खरीदी है, इस पर अब सवाल उठना लाजमी हैं। इसका जवाब देते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि अगस्त, 2019 के बाद से अबतक सिर्फ दो बाहरी लोगों ने ही जम्मू-कश्मीर में ज़मीन खरीदी है।

दरअसल मोदी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा में इसकी जानकारी साझाकी। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में अब ज़मीन खरीदने में लोगों या सरकार को किसी तरह की कठिन प्रक्रिया का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

5 अगस्त 2019 को हटाई गई थी धारा 370

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर धारा 370, 35ए हटने के बाद जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को अलग-अलग कर केंद्रशासित राज्य का दर्जा दिया । जम्मू-कश्मीर में जब धारा 370, 35ए लागू थी तब जम्मू-कश्मीर से अलग किसी राज्य का कोई निवासी वहां पर ज़मीन नहीं खरीद सकता था। लेकिन जब से जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित राज्य का दर्जा दिया तब से इन नियमों में बदलाओं किया गया।

आसान नहीं घाटी में जमीन खरीदना

मोदी सरकार की ओर से अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को मिल रहे स्पेशल राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद अब स्थानीय लोगों को यह डर सता रहा है कि बाहरी लोग वहां आकर जमीन खरीदने लगेंगे और बड़ी संख्या में बस जाएंगे। हालांकि, ऐसा होना आसान नहीं है और अब भाजपा के स्थानीय नेता तथा जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने केंद्र सरकार से डोमिसाइल जैसी कड़ी व्यवस्था लाने का सुझाव दिया है।

खेती की जमीन खरीदने पर पाबंदी

दरअसल केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने साफ किया था कि खेती की जमीन बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे। कानून में बदलाव का उद्देश्य निवेश बढ़ाना है। खेती की जमीन सिर्फ किसानों के पास ही रहेगी।

बाहरी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में खेती को छोड़कर कोई भी जमीन खरीद सकते हैं। इसी तरह डेवलपमेंट अथॉरिटी अब केंद्रीय कानून के तहत जमीन का अधिग्रहण करती है। इसे लीज पर देने या अलॉट करने के लिए परमानेंट रेसिडेंट का नियम जरूरी नहीं है। इसी लिए यहां बाहरी लोग जमीन खरीदने में रुची नहीं ले रहे हैं। हालांकि दो साल में सिर्फ दो बाहरी लोगों ने ही यहां जमीन खरीदी है।

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