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Jammu and Kashmir elections: सपा के मैदान में उतरने से बदल सकता है चुनावी समीकरण

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Jammu and Kashmir elections, नई दिल्लीः समाजवादी पार्टी ने आखिरी वक्त में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है। नामांकन दाखिल करने और नामांकन पत्रों की जांच पूरी होने के बाद पार्टी ने रविवार शाम को बताया कि उसने अपने 20 उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। यहां कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में 20 सीटें काफी अहम हैं। सवाल उठता है कि इस बदले समीकरण से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान।

इंडिया ब्लॉक में आई दरार हो सकती है वजह

यह तो तय है कि समाजवादी पार्टी कहीं से भी भाजपा के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा सकती। ऐसे में ‘इंडिया’ ब्लॉक में शामिल अखिलेश यादव की पार्टी के जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषक इसे ‘इंडिया’ ब्लॉक में बढ़ती दरार का नतीजा बता रहे हैं। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए एक साथ आए विपक्षी दलों के गठबंधन का विधानसभा चुनाव में कोई मकसद नहीं बचा है। ऐसे में उनका बिखराव तय है और यह जमीन पर भी दिख रहा है।

हरियाणा में कांग्रेस और आप के बीच सब ठीक नहीं

एक तरफ समाजवादी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में चुपचाप अपने उम्मीदवार उतारे, वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच बात नहीं बनी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी सपा स्वाभाविक रूप से उत्तर प्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों में अपना आधार बढ़ाने की महत्वाकांक्षा रखती है। लेकिन वह भाजपा के वोट बैंक में कोई सेंध नहीं लगाने जा रही है। समाजवादी पार्टी अगर किसी का वोट काट सकती है तो वह है ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियां। सपा ने जिन 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उन पर नजर डालें तो उनमें से सिर्फ चार पर ही उसके उम्मीदवार कांग्रेस उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं।

महाराष्ट्र में भी खींचतान

ये सीटें हैं बारामुल्ला, उधमपुर पश्चिम, बांदीपोरा और वागूरा क्रीरी। इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में तीसरे और अंतिम चरण में एक अक्टूबर को मतदान होना है। उधमपुर पश्चिम में सपा के अलावा शिवसेना (उद्धव गुट) भी कांग्रेस के खिलाफ मैदान में है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक सपा द्वारा कांग्रेस के खिलाफ ज्यादा उम्मीदवार न उतारने को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच अंदरूनी समझौते की आशंका भी जता रहे हैं। उनका कहना है कि बारामुल्ला, उधमपुर पश्चिम, बांदीपोरा और वागूरा क्रीरी इन चार सीटों पर कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए अगर सपा इन सीटों पर उम्मीदवार उतारती भी है तो इससे चुनाव नतीजों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।

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बीजेपी को सपा से कोई नुकसान नहीं

वहीं, कांग्रेस और सपा मिलकर बाकी सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को नुकसान पहुंचा सकती है। यह मिश्रित जनादेश की स्थिति में कांग्रेस की बैकअप योजना का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी का केंद्र शासित प्रदेश में कोई खास जनाधार नहीं रहा है। ऐसे में सपा यहां किसी गठबंधन के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर ज्यादा कुछ नहीं कर सकती, लेकिन कुछ वोट अपने पक्ष में करके किसी का खेल जरूर बिगाड़ सकती है।

वैसे, केंद्र शासित प्रदेश की कुछ सीटों पर एनडीए के घटक दल भी आमने-सामने हैं। मसलन, वागूरा क्रीरी से जेडीयू और एनसीपी (अजीत पवार) दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन भाजपा के खिलाफ ऐसी स्थिति कहीं नहीं बनी है। वजह चाहे जो भी हो, लेकिन यह तो साफ है कि समाजवादी पार्टी के जम्मू-कश्मीर चुनाव में उतरने से समीकरण दिलचस्प हो गए हैं। यह कितना उलटफेर कर पाता है, यह तो 8 अक्टूबर को ही पता चलेगा, जब चुनाव नतीजे घोषित होंगे।

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