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जानिए किस मुहुर्त में करें दीवाली पूजन, क्या है समय व लग्न

diwali

 

हरिद्वार: प्राच्य विद्या सोसायटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक पूरा विश्व चाहे हिन्दू हो, मुस्लिम हो चाहे कोई भी हो, सब लक्ष्मी के पीछे पागल हैं। हिन्दू समाज में दीपावली की दिन लक्ष्मी पूजन का विधान है। इस दिन सभी परिवार महालक्ष्मी की प्रसन्नता की लिए मुहूर्त निकालते हैं। इस बार दीवाली 14 नवम्बर की है। इस दिन 2 बजकर 18 मिनट के बाद से अमावस्या आ जाएगी जो पूरी रात रहेगी।

मिश्रपुरी के मुताबिक, अमावस्या तिथि पितरों की तिथि है। इसलिए दोपहर में अपने पितरों का पूजन करने के बाद गोधूलि बेला में या किसी स्थिर लगन में गणेश पूजन, कलश पूजन, नव ग्रह पूजा करनी चाहिए। दीवाली का त्योहार पंच दिवस तक होता है। इसे पंच पर्व के नाम से भी जानते हैं। पंच पर्व धन तेरस से प्रारंभ होकर भाई-दूज तक होता है। 13 नवम्बर को धनतेरस है। इस दिन हनुमान जन्मोत्सव होगा। इस दिन शाम को यम के नाम का दीया जलाने से अकाल मृत्यु घर में नहीं होती है। इसके बाद 14 नवम्बर को ही छोटी दीवाली भी होगी। इस दिन सरसों के तेल या तिल का तेल शरीर पर लगाने का विधान है। इसको रूप चौदस भी कहा जाता है। इस दिन रूप की देवी का जन्म दिवस भी होता है।

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उन्होंने कहा है कि इसी दिन शाम को महालक्ष्मी पूजन के तीन मुहूर्त होते हैं जिन्हें प्रदोष काल, निशीथ काल, महा निशीथ काल कहा जाता है। प्रदोष काल 14 नवम्बर को सूर्य अस्त के बाद होगा। इसमें भी 7 बजकर 26 मिनट से वृषभ लगन होगा। स्वाति नक्षत्र 8 बजकर 09 मिनट से रात्रि तक होगा। 5 बजकर 9 मिनट तक लाभ की चौगड़िया होगी। इसलिए 5ः30 से 7 बजकर 7 मिनट तक गणेश पूजन, लक्ष्मी पूजन बहुत ही शुभ करी होगा। इसके बाद निशीथ काल रात्रि 8 बजे से 10 बजकर 50 मिनट तक के लगभग होगा। उन्होंने बताया कि इसमें अमृत मुहूर्त 10 बजकर 30 मिनट से होगा। इसमें महालक्ष्मी पूजन, कनक धारा पूजन, लक्ष्मी की विशेष पूजा की जा सकती है। इसके बाद महा निशीथ काल होगा जो कि 10 बजकर 50 मिनट से रात्रि 1 बजकर 33 मिनट तक होगा। इसमें तंत्र, मंत्र, यंत्र सभी अनुष्ठान किए जा सकते हैं।मिश्रपुरी के मुताबिक लक्ष्मी पूजा के लिए सिंह लगन, वृषभ लग्न बहुत ही उत्तम कहे गए हैं।

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लाभ की चौघड़िया बहुत ही शुभ कही गई है। ये दीवाली शनिवार की ही इसलिए व्यापार बहुत बढ़िया नहीं होगा। दीवाली का दिन लक्ष्मी प्राप्ति का दिन है। सभी लोग चाहते हैं कि वो लक्ष्मीवान बनें। इसके लिए दीवाली के दिन प्रातः काल उठकर दही को देखें जो चांदी के बर्तन में हो। इस दिन पत्नी लाल वस्त्र पहने। बहू का पूरा सम्मान करें। घर के बाहर आम के पत्तों की वंदनवार लगाएं। घर की घड़ी बंद न हो। अनार का पेड़ घर में लेकर आएं। श्री सूक्त का पाठ, लक्ष्मी वर्षा यंत्र की स्थापना करें। घर में उल्लास हो, कलह न हो। ये सभी उपाय सभी लोग कर सकते हैं। इस दिन पूरी रात अखंड दीप जलाना श्रेयस्कर होगा।