नई दिल्लीः हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती को विवाह हुआ है। इसलिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन राज्य हिमालय और रानी मैना देवी की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव के साथ सात फेरे लिये थे। इस दिन भक्ति भाव के साथ भगवान भोलेभंडारी और मां पार्वती की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में बाधा समाप्त हो जाती है। साथ ही विवाह में आ रही समस्याएं भी खत्म हो जाती है। वहीं जीवन में सफलता का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इस साल लोगों को महाशिवरात्रि की तिथि को लेकर संशय है कि आखिर 18 या 19 फरवरी में से किस तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत एवं पूजन किया जाएगा। आइए इस संशय की स्थिति को खत्म करते हुए जानते हैं महाशिवरात्रि की तिथि व मुहूर्तः-
महाशिवरात्रि की तिथि व शुभ मुहूर्त
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी दिन शनिवार को सायं 06.32 बजे प्रारंभ होगा और समापन 19 फरवरी दिन रविवार को अपरान्ह 02.48 बजे पर होगा। महाशिवरात्रि की पूजा का विधान रात्रि के समय है। ऐसे में महाशिवरात्रि का व्रत 18 जनवरी को रखा जाएगा।
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महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक जरूर करना चाहिए। इस दिन भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं। साथ ही सभी तरह के भय से भी मुक्ति मिल जाती है। महाशिवरात्रि के दिन पूजा के दौरान ‘ऊं नमः शिवाय’ का जप करना चाहिए। इस मंत्र का जप करने से भगवान अपने भक्त पर बेहद प्रसन्न होते हैं और उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इस दिन शिव चालीसा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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