संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस सन् 1974 से मनाया जाता है। इस साल इसका ध्येय वाक्य “पारिस्थितिक तंत्र का पुनःस्थापन” (Restoration of Eco-system) रखा गया है।
विगत कुछ वर्षों से हम यह देख रहे हैं कि कहीं गर्मियों में आधिकतम तापमान बढ़ रहा है तो कहीं सर्दियों में न्यूनतम तापमान घट रहा है। इसी तरह कहीं वर्षा घट रही है तो कहीं एक ही दिन में भारी वर्षा से तबाही मच रही है। विकास के नाम पर जंगलों का विनाश, वृक्षों की कटाई, पहाड़ों का समतलीकरण, नये वृक्ष लगाने में झिझक और मात्र औपचारिकता, बढ़ता कंक्रीट व डामरीकरण आदि कई ऐसे कारण हैं जिनसे पारिस्थितिक संतुलन गड़बड़ा रहा है और हमें कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं जिनमें बढ़ता मानसिक तनाव, घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता, नये नये रोगों का पनपना आदि मुख्य हैं।
कई देश इस विषय में जागरूक हैं और मौसम अनुकूलन के प्रयासों को सार्थक सिद्ध कर रहे हैं। इनमें से एक छोटा-सा देश है दुबई। दुबई, संयुक्त अरब अमीरात के पांच में से एक अमीरात की राजधानी है और सारे अमीरातों में सबसे अधिक जनसंख्या यहां की है। अठारहवीं सदी के मछुआरों का छोटा गांव दुबई आज पर्यटकों के लिये सबसे आकर्षित करने वाला स्थान है। दुबई का कुल क्षेत्रफल 4110 वर्ग किलोमीटर है और इसकी वर्तमान जनसंख्या लगभग 24 लाख है।
एक समय था जब दुबई में बरसात तो नगण्य होती थी और अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंचता था लेकिन पिछले कई वर्षों के नियोजित प्रयासों से वहां साल में 110 मिलीमीटर वर्षा होने लगी है और औसत अधिकतम मासिक तापमान में पिछले 11 वर्षों में 5 प्रतिशत गिरावट आई है। इसके विपरीत यदि हम छोटा कश्मीर, पूरब का वेनिस की उपमा रखने वाले झीलों के शहर उदयपुर के आंकड़ों को देखें तो यहां विगत 11 वर्षों में औसत अधिकतम मासिक तापमान में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सारणी क्रमांक - एक
दुबई व उदयपुर का औसत मासिक अधिकतम तापमान 2009 – 2020 (डिग्री सैंटीग्रेड में ) | |||||||
स्त्रोत - worldweatheronline.com | |||||||
वर्ष | दुबई | उदयपुर | |||||
01 जून | 15 जून | 1 जुलाई | 01 जून | 15 जून | 1 जुलाई | ||
2009 | 38 | 39 | 41 | 42 | 40 | 41 | |
2010 | 41 | 43 | 40 | 45 | 41 | 43 | |
2011 | 39 | 36 | 36 | 30 | 40 | 36 | |
2012 | 38 | 40 | 39 | 45 | 42 | 43 | |
2013 | 33 | 36 | 38 | 43 | 39 | 40 | |
2014 | 37 | 36 | 38 | 44 | 41 | 37 | |
2015 | 40 | 38 | 39 | 40 | 37 | 38 | |
2016 | 38 | 34 | 39 | 42 | 37 | 41 | |
2017 | 39 | 41 | 41 | 40 | 42 | 37 | |
2018 | 37 | 38 | 39 | 45 | 41 | 36 | |
2019 | 37 | 38 | 38 | 45 | 41 | 42 | |
2020 | 36 | 37 | 39 | 37 | 45 | 43 | |
परिवर्तन 2009-20 | (-)2 | (-) 2 | (-) 2 | (-) 5 | (+) 5 | (+) 2 | |
प्रतिशत कमी | (-) 5.2% | (-) 5.1% | (-) 4.8% | (-) 11.9 | (+) 12.5% | (+) 4.8% | |
औसत | (-) 5% | (+) 5.4% | |||||
दुबई में मौसम अनुकूलन के जो प्रयास किये गये उसमें हरित क्षेत्र को बढ़ाना, सड़कों के बीच में और किनारों पर हरी बाड़ लगाना और सघन पौधारोपण सम्मलित हैं। वहां की नगर पालिका इससे संबंधित आंकड़े हर वर्ष जारी करती है जिसके अनुसार हरित विकास की स्थिति निम्न प्रकार से है-
सारणी क्रमांक - 2
दुबई में हरित क्षेत्र, बाड़ व पेड़ों की संख्या 2009- 2020 | |||
Source - Dubai Statistics Center, Dubai municipality | |||
वर्ष | हरित क्षेत्र (वर्ग किलो मीटर) | बाड़ (फैंसिंग) किलो मीटर | वृक्षों की संख्या (लाख) |
2009 | 89.43 | 409.35 | 28.12 |
2020 | 143.65 | 796.35 | 49.22 |
वृद्धि | 61% | 95% | 75% |
24 लाख की आबादी में 49 लाख पेड़ अपने आप में एक विशेषता है और सबसे अधिक सुखद बात यह है कि दुबई में वर्ष 2040 तक की 20 वर्षीय विकास योजना बनी है जिसमें दुबई के भौगोलिक क्षेत्र के 60 प्रतिशत भाग को हरित क्षेत्र बना दिया जाएगा। इससे वहां के मौसम का और अनुकूलन होना निश्चित है। इसके साथ ही वहां एक राष्ट्रीय मौसम परिवर्तन योजना 2017-2050 चल रही है जिसमें सौर ऊर्जा के उपयोग पर जोर है और हर भवन पर हरित नियम लागू किये जा रहे हैं जिसमें 30 प्रतिशत पानी व बिजली की खपत कम करने का प्रावधान है।
दुबई में कई छोटी-छोटी झीलें बनाई गईं हैं जिनके पास ही लंबे चौड़े हरित क्षेत्र भी हैं और इनसे सटी आबादी है। इस कारण से जलीय जीवों व पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है और लोगों को अपने निवास के पास ही घूमने फिरने की जगह भी मिल रही है।
यह भी पढ़ेंः-चला गया एक भारतवंशी हिन्दी सेवी
‘जहां चाह वहां राह’ को चरितार्थ करने की राह पर हमें भी कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। हम भी चाहें तो एयर कंडीशनरों व हीटरों का उपयोग कम कर सकते हैं, गर्मी और सर्दी की मार घटा सकते हैं, बरसात बढ़ा सकते हैं और पारिस्थिक तंत्र को प्रकृति के अनुकूल कर सकते हैं।
ज्ञान प्रकाश सोनी