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पश्चिम बंगाल:  DA  मुद्दे पर सरकार का सख्त निर्देश, कर्मचारी हड़ताल पर रहे तो होगी कार्रवाई

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने बकाया महंगाई भत्ते के मुद्दे पर सोमवार और मंगलवार को प्रस्तावित दो दिवसीय पेन-बंद हड़ताल में भाग लेने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया है। राज्य के वित्त विभाग ने शनिवार देर शाम एक अधिसूचना जारी कर दावा किया कि जो लोग सेवा से अनुपस्थित रहेंगे, वे दो दिनों के लिए ‘नॉन डेज’ (सेवा में ब्रेक) के अधीन होंगे और उन दो दिनों के लिए वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा।

राज्य के वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार के किसी भी कर्मचारी को उस दिन आकस्मिक अवकाश का  ऑप्शन चुनने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय उनके जो पहले से स्वीकृत अर्जित अवकाश या चाइल्ड केयर लीव या मैटरनिटी लीव जैसे अन्य अवकाश पर हैं। यदि कोई कर्मचारी दो या दो दिन में से किसी भी दिन अनुपस्थित रहता है तो संबंधित विभाग कारण बताओ नोटिस जारी करेगा। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उस दिन या अनुपस्थिति के दिनों का वेतन काट लिया जाएगा।

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हड़ताल का आह्वान करने वाले यूनाइटेड फोरम ऑफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लॉइज के पदाधिकारियों ने अधिसूचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रविवार सुबह कहा कि यह हताशा और डर की वजह से है कि राज्य सरकार इस तरह के उपायों का सहारा ले रही है। कर्मचारियों के विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार को कमजोर करने के लिए अलोकतांत्रिक अधिसूचना जारी की जा रही है। आंदोलन में शामिल फोरम के एक पदाधिकारी ने कहा, ”राज्य सरकार के कर्मचारी 22 दिनों से धरना दे रहे हैं। राज्य सरकार ने उनसे एक बार भी बात करने की जरूरत महसूस नहीं की। दरअसल, राज्य सरकार को डर है कि आने वाले दिनों में आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

15 फरवरी को, पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए तीन फीसदी अतिरिक्त डीए का ऐलान किया था। लेकिन फोरम ने कहा कि अतिरिक्त तीन प्रतिशत डीए तो बहाना है, क्योंकि तब भी राज्य सरकार के कर्मचारियों और केंद्र सरकार में उनके समकक्षों के बीच 32 प्रतिशत का अंतर बना हुआ है।

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