Home उत्तर प्रदेश आजादी के अमृत महोत्सव का साक्षी बनना हम सबका सौभाग्यः सीएम योगी

आजादी के अमृत महोत्सव का साक्षी बनना हम सबका सौभाग्यः सीएम योगी

लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सबका सौभाग्य है कि आजादी के अमृत महोत्सव के साक्षी बन रहे हैं। 15 अगस्त 1947 को देश को स्वाधीनता मिली। स्वाधीनता के बाद देश की सुरक्षा, एकता अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए 1947, 62, 71, 1999 में चार युद्धों से इस देश को जूझना पड़ा। इन युद्धों में देश के बहादुर जवानों ने एकता अखंडता के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सब एरिया सेंट्रल कमांड में सेना के वीरता पुरस्कार विजेताओं व वीर नारियों के सम्मान समारोह में शामिल हुए और विजेताओं को पुरस्कार वितरित किया। सीएम योगी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव 75 वर्ष के आत्मावलोकन का अवसर हमको दे रहा है। देश के महान सपूतों ने देश के लिए बलिदान देने में जरा भी संकोच नहीं किया। लंबी लड़ाई के बाद देश आजाद हुआ। एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना प्रधानमंत्री मोदी ने की है। उसे साकार करने का लक्ष्य हम सबको दिया है।

उन्होंने कहा कि यह आयोजन कोई सरकारी आयोजन नहीं है। पहली बार यह हर नागरिक के साथ जुड़ा है। हर व्यक्ति इस अवसर के साथ जुड़ा है। स्वयं से ही इसे सफल बनाने में जुटा है। हर घर तिरंगा जो भारत की आन-बान-शान का प्रतीक है, वह सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। वीर सपूतों के जिन परिजनों को यहां सम्मानित किया गया है, मैं उन्हें हृदय से उनका अभिनन्दन करता हूँ। यह अमृत महोत्सव अगले 25 वर्ष की कार्ययोजना को मूर्तरूप देने वाला है। उन्होंने कहा कि भारत आज वैश्विक मंच पर सबसे आगे रहकर तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के साथ अपनी आभा को बिखेर रहा है। भारत की ओर आज उम्मीदों से देखा जा रहा है। यही सामूहिकता की ताकत है। नया भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में ही नहीं, रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर हो रहा है। नए भारत में भारत के जवान देश की अखंडता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए तत्पर हैं। वैश्विक मंच पर जब कभी शांति की स्थापना के लिए आवाह्न किया गया तो वहां भी जवानों ने उन देशों में जाकर अपने अभूतपूर्व शौर्य का प्रदर्शन किया है। हमारा जवान हमेशा नेशन फर्स्ट के लिए सोचता है। सर्वस्व न्योछावर कर देता है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2017 में सरकार में आने के बाद यह तय किया कि देश के लिए बलिदान देने वाले जवान को उनके परिजनों को 50 लाख रुपये की राशि देते हैं। उनके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देने की बात आई तो देते हैं। उस शहीद परिवार की जिम्मेदारी हमारी होती है। उनके जनपद में उनके स्मृति में शहीद स्मारक बनाने का प्रावधान रखा है। यह अपने सैनिकों को सम्मान देने की प्रक्रिया के साथ नई पीढ़ी को उनके स्मृतियों से भी जोड़ने की प्रक्रिया होती है। उत्तर प्रदेश आज रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। यहां डिफेंस कॉरिडोर के माध्यम से नई विकास गाथा लिखने की ओर अग्रसर है। वीर शहीद परिजनों को यह विश्वास दिलाते हैं कि सम विषम परिस्थितियों में केंद्र व राज्य सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है।

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