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उपराष्ट्रपति नायडू ने किया भारत को फिर से 'विश्वगुरु' बनाने का आह्वान

Vice President M. Venkaiah Naidu virtually addresses the 6th-anniversary celebrations of Rashtretara Telugu Samakhya

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को विश्वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और गरीबी जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान खोजने में ‘विचार-नायक’ बनें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विश्व के सामने उपस्थित सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक मुद्दों पर विमर्श करें और ऐसे समाधान सुझाएं जो सरकारों द्वारा उनकी आवश्यकता अनुसार लागू किए जा सकें।

ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी, सोनीपत द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज समिट के उद्घाटन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्विद्यालयों से अपेक्षित है कि वे ऐसे शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री तथा राजनेताओं का निर्माण करें जिनका आचार, विचार, क्षमता, चरित्र स्वच्छ और अनुकरणीय हो।

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भारत की विशाल विविधतापूर्ण जनसंख्या की चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षा के समान अवसर सुनिश्चित करने तथा गुणवत्ता बनाए रखने पर बल दिया जिससे हमें हमारी युवा शक्ति का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारे पास वेदों और उपनिषदों का समृद्ध इतिहास है, हमें फिर से विश्व में ज्ञान का केंद्र या विश्व गुरु के रूप में स्थापित होना है। इस संदर्भ में नायडू ने निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र के बीच सहयोग और साझेदारी वकालत की। उन्होंने कहा कि हर कार्य को सरकार पर नहीं डाला जा सकता है।

आयोजन की प्रासंगिकता का जिक्र करते हुए नायडू ने चुनौतियों का कारगर और स्थाई समाधान करने के लिए मल्टी डिसिप्लिनरी पद्धति विकसित करने और शैक्षणिक सहयोग की जरूरत पर बल दिया। विश्व के सामने उपस्थित चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा सतत स्थाई विकास ही हमारी कई चुनौतियों का निदान है और इस दिशा में विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि वर्चुअल शिक्षा, कक्षाओं में प्रदान की जा रही शिक्षा का स्थान नहीं ले सकती। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा में निरंतर सुधार की जरूरत पर बल दिया। शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक के प्रयोग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इससे अध्ययन और अध्यापन दोनों ही समृद्ध और रोचक अनुभव बन सकेंगे। जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक नवीन जिंदल के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने उद्योग जगत और मानवतावादी समाजसेवियों से शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने और शिक्षण सुविधाओं को सुधारने का आग्रह किया।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो (डा.) सी राजकुमार और 25 से अधिक देशों से भाग ले रहे 250 विचार नायकों का अभिनंदन किया जो उच्चतर शिक्षा में इनोवेशन विषय पर विचार विमर्श करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तीन दिवसीय सम्मेलन के अंत में कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकलेंगे जिससे भारत और विश्व में उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आ सकेगा।

इस वर्चुअल कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. (डा.) डी.पी. सिंह, ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलाधिपति, श्री नवीन जिंदल, संस्थापक कुलपति प्रो. सी. राजकुमार आदि गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।