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कोरोना काल में वीरान है वाराणसी का 'पिशाच कुंड' , इस साल नहीं मुक्त हो पाएंगी परेशान आत्माएं

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वाराणसी:  2 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। पूर्वजों को तर्पण करने का 'पितृ पक्ष' 16 दिनों तक चलेगा, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यूपी के वाराणसी में 'पिशाच कुंड' वीरान नजर आ रहा है। बता दें, पिशाच कुंड ऐसी जगह है, जहां 'अशांत' आत्माओं के उद्धार के लिए अनुष्ठान और प्रार्थनाएं की जाती हैं।

पिशाच कुंड के पुजारी अरविंद पांडे ने बताया, "जब लोगों की अप्राकृतिक मौत होती है तो उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। कई मामलों में वे अपने करीबी लोगों और प्रियजनों को परेशान करते हैं और हम उन्हें भूत के रूप में संदर्भित करते हैं।" पितृ पक्ष के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से और यहां तक कि विदेशों से भी लोग 'त्रिपिंडी श्राद्ध' करने के लिए यहां आते हैं। इसमें तीन ब्राह्मण अनुष्ठान करते हैं। इससे आत्मा को मुक्ति मिलती है और फिर वे लोगों को परेशान नहीं करते हैं।

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पांडे ने कहा कि इस रस्म का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। उन्होंने आगे कहा, "इस मंदिर और कुंड का इतना महत्व है कि न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां अनुष्ठान करने जाते हैं। इन पारलौकिक शक्तियों को समझने के लिए अमेरिका, जापान, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी जैसे देशों से लोग हमारे पास आए हैं।" इस साल अधिकांश भक्त त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए गया गए हैं। पुजारी ने कहा, "यहां जो अनुष्ठान किया जाता है, उसे ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है। इसमें भक्त की यहां उपस्थित होना जरूरी है। लिहाजा अब हमें यहां भक्तों के आगमन के लिए और परेशान आत्माओं को मुक्त करने के लिए एक साल तक इंतजार करना होगा।"