वरद चतुर्थीः भगवान श्रीगणेश की आराधना से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं, जानें शुभ मुहूर्त एवं मंत्र जाप

नई दिल्लीः हर माह की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेशजी की आराधना की जाती है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वरद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। उनकी आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही गणेशजी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। उनकी भक्तिपूर्वक आराधना से भक्त के सभी विघ्न स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।

वरद चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
6 जनवरी को दिन में 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट तक भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना का शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा, चौघड़िया मुहूर्त में भी गणपति भगवान की आराधना का शुभ है। व्रत करने वाले भक्त को विधि-विधान से पूजा के बाद ‘ओम गं गणपतये नमः’ का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही वरद चतुर्थी को इन मंत्रों का जाप और आरती अवश्य करना चाहिए।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

गजाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

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भगवान गणेशजी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

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