विशेष Featured करियर

उपासना ताकू: भारत के पहले मोबाइल वॉलेट की सह-संस्थापक

upasana taku

लखनऊ: जीवन में आप जो भी करना चाह रहे हैं तो उसके लिए आने वाले जोखिमों से न डरें बल्कि खुद का पॉजिटिव एटीट्यूड रखें और अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहें। निश्चित ही सफलता आपके कदम चूमेगी। ये ही किया भारत के पहले मोबाइल वॉलेट की को-फॉउंडर उपासना ताकू ने। उपासना उद्यमिता के क्षेत्र में कोई पारिवारिक पृष्ठभूमि न होने के बावजूद कभी जोखिम उठाने से नहीं डरीं। खुद का पॉजिटिव एटीट्यूड इन्हें प्रेरित करता रहा और उपासना टाकू देश की पहली मोबाइल वॉलेट कंपनी ‘मोबिक्विक’ की सह-संस्थापक बनीं। यह देश का पहला मोबाइल वॉलेट है, जो अब एक फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म के रूप में तब्दील हो चुका है। अब इसका यूजर बेस 110 मिलियन के आसपास हैए जिसे 250 मिलियन के करीब पहुंचाने का इरादा है। जानते हैं उनके इस सफलता के सफर की कहानी।

ऐसे हुई शुरूआत

उपासना का मानना है कि हर किसी को हमेशा पॉजिटिव रहना चाहिए। कश्मीर की रहने वाली उपासना के परिवार में शिक्षा को काफी महत्व दिया जाता था। उनके पिता फिजिक्स के प्रोफेसर थे। उपासना का कहना है कि जीवन के अलग-अलग मोड़ पर कभी पायलट, कभी डॉक्टर, कभी पत्रकार, तो कभी इंजीनियर बनने का सपना देखा करती थीं, लेकिन हाईस्कूल के बाद तय कर लिया कि इंजीनियर ही बनना है। जिसके बाद उन्होंने जालंधर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग का कोर्स किया और आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं। जहां स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस एवं इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया। पढ़ाई के बाद उपासना ने सैन डिआगो स्थित एचएसबीसी से अपना करियर शुरू किया। उसके बाद कई और कंपनियां बदलने के बाद भी उन्हें आत्मसंतुष्टि नहीं मिल पा रही थी तो उन्होंने भारत लौटने का निर्णय लिया। यहां से उनके संघर्ष की कहानी शुरू हुई। 2009 में भारत लौटने के बाद उपासना अब खुद का बिजनेस शुरू करने की सोच रही थीं। इस दौरान एक दिन किसी मित्र के माध्यम से उनकी मुलाकात बिपिन से हुई, जो बाद में उनके पति बने। वह स्टार्टअप लाना चाह रहे थे। उपासना भारत में मोबाइल वॉलेट लाना चाहती थीं, लेकिन उनको ये समझ में नहीं आ रहा था कि इसे कैसे शुरू करना है। फरवरी 2010 में अपने आइडिया पर विश्वास बढ़ा फिर उन्होंने बिपिन के स्टार्टअप मोबिक्विक में बतौर सह-संस्थापक ज्वाइन किया।

आज 100 मिलियन से ज्यादा है यूजर बेस

उस समय भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र विकसित ही हो रहा था, लेकिन स्मार्टफोन का चलन या बाजार संपूर्णता में विकसित नहीं हुआ था। पेमेंट गेटवे के क्षेत्र में भी विशेष प्रगति नहीं हुई थी। सीमित विकल्प के कारण अधिकतर लोग मोबाइल फोन रिचार्ज कराने के लिए 10-10 रुपये खर्च करते थे। मोबाइल वॉलेट की उपयोगिता की जानकारी नहीं थी। इसलिए पहले एक रिचार्ज प्लेटफॉर्म के रूप में मोबिक्विक को लॉन्च किया। इसके बाद उपासना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उपासना ने अपार्टमेंट के दो कमरों में काम की शुरुआत की थी। उपासना बताती है यह वह दौर था, जब हमें अपने बिजनेस आइडिया को साबित कर दिखाना था। शुरुआत में जब मैं मोबिक्विक का वित्तीय कार्यभार संभाल रही थी, तब खुद को साबित करने की चुनौती रही। उपासना ने शीर्ष पर पहुंचने के लिए संघर्ष किया।

यह भी पढ़ेंः-उत्तराखंड के सीएम रावत ने दिया इस्तीफा, आज तय होगा नये मुख्यमंत्री का नाम

उन्होंने अपनी शादी के दिन काम किया, शानदार जीवनशैली को त्याग दियाए कई चुनौतियों का सामना किया। उपासना कहती हैं जब आप कुछ नया शुरू करते हैंए तो इकोसिस्टम आपको आसानी से स्वीकार नहीं करता है। वॉलेट लोडिंग के लिए पहला बैंक लेने में हमें 10 महीने लगे, जबकि दूसरा 15 दिनों में हुआ। 2014 में अपने पहले कुछ शीर्ष व्यापारियों को प्राप्त करने में हमें 3-4 महीने लगे। 3-4 महीनों के भीतर हमने ईबेए डोमिनोज और अन्य बड़े प्लेटफॉर्मस के साथ शुरू कर दिया। आज मोबीक्विक का यूजर बेस 110 मिलियन के आसपास है, जिसे 250 मिलियन के करीब पहुंचाने का इरादा है। आज उपासना देश की एक सफल उद्यमी हैं और उनके जैसी कई युवा महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं एक मिसाल हैं।